Fukrey Returns Movie Review : फुकरों ने फैलाया रायता
कहानी
पुरानी कहानी के आगे 1 साल बाद अब पुरानी दिल्ली की लेडी डॉन भोली पंजाबन, को आज़ाद होने के लिए चाहिए 10 करोड़ रपए और ये काम पूरा करने के लिए लौटे हैं 4 फुकरे।
समीक्षा
यूँ कह लीजिए कि ये फ़िल्म अपने किरदारों पे इस बार भी खेलने की कोशिश करती है। पिछली बार मृगदीप ने अपने किरदारों पे इतना काम कर लिया था कि इस फ़िल्म में उसकी जरूरत नहीं थी। यूँ बोले तो बस ज़रूरत थी आगे की कहानी की, पर यहीं ये फ़िल्म भटक जाती है। ये पुरानी दिल्ली की बिरयानी इतनी ज्यादा पक जाती है की कब ये खिचड़ी बन जाती है पता ही नहीं चलती। इतने सारे प्लॉट और सबप्लॉट हैं कि काफी कंफ्यूसिंग सी कहानी बन जाती है। कहीं कहीं देशभक्ति का तड़का और सोशल इशू को तड़के की तरह लगाने से फ़िल्म इधर उधर भटकती रहती है। हालांकि फिल्म के क्रिस्प और कड़क सम्वाद फ़िल्म की प्रोब्लम को काफी हद तक संभाल लेते हैं और फ़िल्म देखने लायक बानी रहती है। फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफी कुछ खराब है, फ्रेम उखड़े और उजड़े हुए हों और फ़िल्म की लाइटिंग भी खराब है खासतौर से सुरंग वाले सीनों में।
अदाकारी:
ये डिपार्टमेंट पिछली बार की तरह ही इस बार भी अव्वल दर्जे का है , वरुण, ऋचा और पंकज जी का काम बढ़िया है। अली का काम जितना है उतना बढ़िया है!
फुकरे रिटर्न्स अधिक मसाला डालने के चक्कर में कुछ ज़्यादा ही तीखी हो गई है, आधे से ज़्यादा समय तो समझ मैं नहीं आ पाता कि हो क्या रहा है पर फिर भी पंचलाइंस अच्छी होने की वजह से फ़िल्म ठीक ठाक बन पड़ी है। इस हफ्ते मिल सकते हैं फुकरों से।
रेटिंग: 2.5 स्टार
Yohaann Bhargava
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