अन्‍ना हजारे ने दिल्‍ली के जंतर-मंतर में एनडीए सरकार के भूमि अधि‍ग्रहण अध्‍यादेश के खिलाफ नए सिरे से प्रदर्शन करना शुरु कर दिया है. इस आंदोलन में देशभर के किसान संगठन अन्‍ना हजारे का साथ दे रहे हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर अन्‍ना हजारे को एनडीए सरकार के भूमि अधिग्रहण अध्‍यादेश के किन पहलुओं पर आपत्ति है. आइए जानें अन्‍ना की आपत्तियों और पिछले भूमि अधिग्रहण कानूनों के बारे में...

अन्ना आंदोलन की चार वजहें
अन्ना हजारे ने एनडीए सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ते हुए भूमि अधिग्रहण के उन मुद्दों से जनता को अवेयर कराया जिनकी वजह से अन्ना को सरकार के खिलाफ आंदोलन करने उतरना पड़ा है. अन्ना आंदोलन की चार वजहें इस प्रकार हैं. 1- यूपीए सरकार के जमीन अधिग्रहण कानून में किसानों की सहमति आवश्यक थी जिसे नए अध्यादेश में हटा लिया गया है. 2- नए अध्यादेश में सिंचाई में प्रयोग लाई जाने वाली जमीन भी अधिग्रहित की जा सकती है. 3- अन्ना ने एनडीए सरकार के अलोकतांत्रिक अध्यादेश को बताया. 4 - अन्ना ने इस अध्यादेश को किसान अधिकारों के लिए संकट बताया है.
कैसा था अंग्रेजों का जमीन अधिग्रहण कानून
वर्ष 1894 में ब्रिटिश सरकार ने सामाजिक प्रयोग में आने वाले शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों और स्लम क्लियरेंस के लिए जमीन अधिग्रहित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कानून बनाया गया था. इसके तहत लोकल अथॉरिटीज और सोसाइटीज एक्ट 1860 के तहत पंजीकृत संस्थानों को भी समाज हित में जमीन अधिग्रहण करने का अधिकार दिया था. इसके तहत जमीन मालिकों को अधिग्रहण की सूचना जारी होने के 30 दिन के भीतर अधिग्रहण के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार था. इसके बाद अधिकृत संस्था को दायर शिकायतों को सुनने और अधिग्रहण पर अंतिम फैसला लेने का अधिकार था. इस कानून में अधिग्रहण के तहत जमीनमालिकों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर भी एक समयसीमा निश्चित थी. इसके तहत अधिग्रहण के दो सालों बाद तक मुआवजा नहीं मिलने की स्थिति में अधिग्रहण प्रक्रिया स्वत: ही निरस्त हो जाती थी.
समझें यूपीए सरकार का जमीन अधिग्रहण कानून
जमीन अधिग्रहण कानून में आदिवासी भूमि को अधिग्रहण की सीमा से बाहर करने के लिए यूपीए सरकार 2 ने कानून में संशोधन किया था. इसके तहत जमीन अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की सहमति को आवश्यक बनाया गया था. इसके साथ ही वन्य अधिकार कानून का दोहन करने पर नई पेनाल्टीज को इंट्रोड्यूस किया गया था. इसके अलावा नक्सल ऑफेंस केसेस की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का प्रावधान रखा गया था. यूपीए सरकार ने अपने संशोधन में अधिग्रहण से प्रभावित परिवारों के रिहेबिलेटशन का प्रावधान रखा था.
क्या है एनडीए का जमीन अधिग्रहण कानून
एनडीए सरकार ने दिसंबर महीनें में आनन-फानन में जमीन अधिग्रहण कानून में संशोधन पर अध्यादेश ला चुकी है. वित्तमंत्री अरुण जेटली कहते हैं कि जनहित हमेशा से व्यक्तिगत हित से ऊपर रहता है. इस संशोधन में सरकार ने ग्रामसभा की सहमति की शर्त हटा दी है. सरकार ने धारा 10(A) में संशोधन करते हुए उन प्रोजेक्ट्स को शामिल किया है जिनमें प्रभावित किसानों की सहमति आवश्यक नहीं है. इसके साथ ही सिंचित भूमि को भी अधिग्रहित किया जा सकता है.

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Posted By: Prabha Punj Mishra