रांची : देवघर कोषागार से 89.4 लाख रुपये अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाले के मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने शनिवार की शाम करीब 3.50 में अपना फैसला सुना दिया। अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को दोषी करार दिया है। इसके साथ ही लालू प्रसाद को हिरासत में ले लिया गया और वहां से उन्हें रांची के ही होटवार जेल ले जाया गया। कोर्ट ने इस मामले में जगन्नाथ मिश्र सहित कुल सात आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया है। अदालत अब नए साल में 3 जनवरी 2018 को सजा सुनाएगी। तब तक लालू प्रसाद होटवार जेल में ही रहेंगे।


- अब जेल में नया साल मनाएंगे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री- सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने सुनाया फैसला, मिश्र समेत सात आरोपी बरी- देवघर कोषागार से 89.4 लाख रुपये अवैध निकासी का मामला- 21 साल बाद फैसला मामले से जुड़ी सारी जानकारीप्राथमिकी : 27 जनवरी 1996सीबीआइ ने दर्ज की प्राथमिकी : 27 मार्च 1996अंतरिम चार्जशीट : 28 अक्टूबर 97आरोपियों की संख्या : 38सुनवाई के दौरान मौत : 11सरकारी गवाह बने : दोनिर्णय पूर्व दोष स्वीकार : दोट्रायल के आरोपी : 22आरोप गठन :29 मई 2005कहीं खुशी कहीं गम का नजारा


शनिवार की सुबह कोर्ट खुलते ही लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र सहित इस मामले के कुल 22 आरोपी व उनके समर्थकों की भीड़ जुट गई थी। कोर्ट ने अपराहन तीन बजे फैसला सुनाने की बात कही। एक बार फिर दिन के दो बजे के बाद से कोर्ट में भीड लगनी शुरू हो गई। पूरा कोर्ट परिसर खचाखच भर गया था। कोर्ट का फैसला आने के साथ ही कहीं खुशी कहीं गम का नजारा दिखने लगा। चारा घोटाले के इस मामले को लेकर सीबीआइ ने चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 64ए/96 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। दोनों पक्षों की ओर से 13 दिसंबर को सुनवाई पूरी हुई थी। इसके बाद अदालत ने फैसले की तिथि 23 दिसंबर निर्धारित की थी। फैसले के दौरान सभी 22 आरोपियों को सशरीर न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया था। लालू प्रसाद व जगन्नाथ मिश्र सहित अन्य आरोपी शुक्रवार की शाम रांची पहुंच गए थे। लालू के साथ उनके पुत्र तेजस्वी यादव भी रांची आए हैं। दो चार्जशीट दाखिल हुई थीदेवघर कोषागार मामले में 38 आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में दो चार्जशीट दाखिल की गई थी। पहली चार्जशीट 27 अक्टूबर 1997 को हुई थी। सीबीआइ के इंस्पेक्टर सह अनुसंधान पदाधिकारी नागेंद्र प्रसाद ने 34 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। दूसरी चार्जशीट 25 अगस्त 2004 को हुई थी। इसमें चार आरोपियों के नाम शामिल थे। कुल 38 आरोपियों में न्यायालय में ट्रायल के दौरान 11 का निधन हो गया। वहीं सीबीआइ ने तीन लोगों को सरकारी गवाह बना लिया। इसके अलावा दो आरोपियों ने फैसला सुनाए जाने के पूर्व दोष स्वीकार कर लिया। ये हैं आरोपी  :राजनेता :

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री व प्रतिपक्ष के तत्कालीन नेता डॉ। जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद व पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद सह पूर्व मंत्री डॉ। आरके राणा, पूर्व पशुपालन मंत्री विद्या सागर निषाद व पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष धु्रव भगत का नाम शामिल है।ईडी के शिकंजे में मीसा भारती, कभी नाम तो कभी कॉन्फ्रेंस को लेकर सुर्खियों में रही लालू की ये दुलारी आइएएस :चारा घोटाले में आइएएस अधिकारियों में पूर्व पशुपालन सचिव बेक जुलियस, महेश प्रसाद, तत्कालीन वित्त आयुक्त फूलचंद सिंह, तत्कालीन आयकर आयुक्त अधीप चंद्र चौधरी शामिल हैं। पशुपालन अधिकारी व आपूर्तिकर्ता :डॉ। कृष्ण कुमार, राजाराम जोशी, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुनील कुमार सिन्हा, सुशील कुमार सिन्हा, सुनील गांधी, संजय कुमार अग्रवाल, ज्योति कुमार झा, सरस्वती चंद्र, वेणु झा, सुबीर भट्टाचार्जी।  तीन बने सरकारी गवाह :राघवेंद्र किशोर दास, शिव कुमार पटवारी और शैलेश प्रसाद शर्मा। दो ने किया दोष स्वीकार :चारा घोटाले के दो आरोपी प्रमोद कुमार जायसवाल और सुशील कुमार झा ने ट्रायल के दौरान दोष स्वीकार कर लिया था। इसके बाद दोनों को वर्ष 2007 में सात-सात वर्ष की सजा सुनाई जा चुकी है। वो 4 मौके जब लालू यादव को करनी पड़ी जेल यात्रा, जानें क्या है ये चारा घोटालाइन आरोपियों का हो चुका निधन :

शेषमुनी राम, श्याम बिहारी सिन्हा, राम राज राम, भोलाराम तुफानी, चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, राजो सिंह, ब्रज भूषण प्रसाद, ओम प्रकाश गुप्ता, महेंद्र प्रसाद, के अरूमुगम।

Posted By: Shweta Mishra