हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के दौर में टीवी कैमरे की पहुंच हर जगह नहीं थी. 24 घंटे के टीवी चैनल क्या भारत में तो टेलीविजन प्रसारण भी शुरू नहीं हुआ था.


अंग्रेज़ों की फ़ौज के मेजर ध्यानचंद का वक़्त हॉकी के मैदान में कम और सेना की नौकरी में ज़्यादा बीतता था. लेकिन ये उनका जादू था कि वे भारत के पहले ग्लोबल स्पोर्ट्स स्टार साबित हुए.ध्यानचंद के जीवन से संबंधित पांच दिलचस्प जानकारियां:3. नीदरलैंड्स और जापान में  ध्यानचंद की हॉकी स्टिक को तोड़कर यह जांच की गई थी कि उसमे कहीं चुंबक तो नहीं लगा है.4. लंदन ओलिंपिक (2012) के दौरान एक मेट्रो स्टेशन का नाम ध्यानचंद के नाम पर रखा गया था. लंदन ओलिंपिक के दौरान ओलिंपिक के पूर्व और वर्तमान सितारों के सम्मान में 358 मेट्रो स्टेशन के नाम रखे गए थे. लंदन में 361 मेट्रो स्टेशन हैं.
5. भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद भारतीय हॉकी टीम एक बार पेशावर जा रही थी. लाहौर रेलवे स्टेशन पर कुछ हॉकी प्रेमियों ने ध्यानचंद को देख लिया. इसके बाद ध्यानचंद की एक झलक पाने के लिए हज़ारों की भीड़ स्टेशन पर जमा हो गई. उस वक्त टीम में शामिल रहे कृष्ण कुमार कक्कड़ ने मीडिया को बताया, "स्टेशन पर इतनी भीड़ जमा हो गई कि ट्रेन काफी विलंब से रवाना हुई. हम चार घंटे लेट पेशावर पहुंचे थे और वहां भी हज़ारों फैंस जमा थे."

Posted By: Satyendra Kumar Singh