टीचर जो बने पीएम, सीएम आैर प्रेसिडेंट, जानें क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस
कानपुर। शिक्षक बनने के बाद राजनीति में आने वाले चेहरे में बसपा प्रमुख मायावती का नाम भी शामिल हैं। भारतीय राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। बीएसपी की आधिकारिक वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू डाॅट बीएसपीइंडिया डाॅट ओआरजी के मुताबिक चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।बीए बीएड और एल एल बी की पढ़ाई करने वाली मायावती ने शुरुआती दौर में दिल्ली की जे जे कॉलोनी में एक स्कूल में शिक्षण कार्य किया था।
डॉक्टर मनमोहन सिंह
प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह भी पहले एक शिक्षक रहे हैं। भारत सरकार की एक आधिकारिक वेबसाइट आर्काइवपीएमओ डाॅट एनआईसी डाॅट इन के मुताबिक मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय और प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में शिक्षक रहे हैं। इसके बाद वह राजनीति में सक्रिय हो गए है। डॉक्टर सिंह 1991 में राज्य सभा के सदस्य रहे हैं।1998 और 2004 के बीच विपक्ष के नेता रहे। इसके बाद मनमोहन सिंह ने 2004 में व 2009 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
प्रणव मुखर्जी
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी भी एक शिक्षक रहे हैं। प्रणवमुखर्जी डाॅट एनआईसी डाॅट इन के मुताबिक प्रणव मुखर्जी ने कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर व विधि में उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कॉलेज शिक्षक और पत्रकार के रूप में अपना व्यावसायिक जीवन शुरू किया। इसके बाद वह राज्य सभा में चुने जाने के बाद वर्ष 1969 में पूरी तरह से राजनीति में आ गए थे। 25 जुलाई, 2012 को इन्होंने देश 13वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की।
एपीजे अब्दुल कलाम
पूर्व राष्ट्रपति अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम अथवा एपीजे अब्दुल कलाम ने भी शिक्षक के रूप में पहचान बनाई थी। अब्दुलकलाम डाॅट एनआईसी डाॅट इन के मुताबिक डॉ कलाम ने नवंबर 2001 से चेन्नई के अन्ना विश्वविद्यालय में एक शिक्षक के रूप में पढ़ाते थे। इसके अलावा यह एक वैज्ञानिक के रूप में मिसाइल मैन कहे गए। डाॅक्टर एपीजे अब्दुल कलाम 2002 में भारत के राष्ट्रपति चुने गए। इन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किए हैं।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन
5 सितंबर,1888 को पैदा हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। मिड डे की एक रिपोर्ट के मुताबिक वह 20वीं शताब्दी के महान शिक्षाविद, महान दार्शनिक, महान वक्ता, विचारक थे। 1952 में वह भारत के उप राष्ट्रपति और 1962 में राष्ट्रपति बने थे। वह कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुए थे। शिक्षक के रूप में वह छात्रों के बीच लोकप्रिय थे। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सुझाव पर ही उनके जन्मदिवस को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाया जाता है।