कानपुर में संजीत यादव के कथित अपहरण मामले में कानपुर पुलिस ने शुक्रवार को कहा कि 22 जून को अपहरण किए गए संजीत यादव की 26-27 जून को उसके दोस्तों ने हत्या कर दी थी और उसका शव पांडु नदी में फेंक दिया गया था। हालांकि शव अभी मिला नही है। पुलिस ने इस मामले में संजीत के दो दोस्तों समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं 4 पुलिसकर्मी इस मामले में सस्पेंड हो गए हैं।

कानपुर (एएनआई / आईएएनएस)। कानपुर में स्थानीय पैथोलॉजी लैब में काम करने वाले चमन सिंह के बेटे संदीप का 22 जून को अपहरण कर लिया गया था। उसके बाद उसकी हत्या भी कर दी गई है। हालांकि उसका शव अभी नहीं मिला है। इस मामले के बाद से परिजन पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। वहीं इस मामले में राज्य सरकार ने कानपुर अपहरण मामले की जांच में कथित शिथिलता के लिए एएसपी- दक्षिण अपर्णा गुप्ता और तत्कालीन सर्कल अधिकारी मनोज कुमार गुप्ता को निलंबित कर दिया है। पूर्व एसएचओ बर्रा रंजीत राय और चौकी के प्रभारी राजेश कुमार को भी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर ने निलंबित कर दिया है। इस मामले के बारे में खुलासा करते हुए, कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) मोहित अग्रवाल ने कहा कि लैब टेक्नीशियन संजीत यादव की हत्या मामले में पांच लोग ज्ञानेंद्र यादव, कुलदीप, नीलू, रामजी और प्रीति को गिरफ्तार किया गया है। इसमें ज्ञानेंद्र अपराध का मास्टरमाइंड है। कुलदीप और रामजी संजीत के दोस्त थे और उसी लैब में काम करते थे।

Relatives of the victim (Sanjeev Yadav) are claiming that they have given the ransom amount of Rs 30 lakh to the kidnappers. As per the investigation till now,we found that no ransom amount has been given,still we are probing the case from all angles:Mohit Agarwal,IG Kanpur Range pic.twitter.com/TAPxkPEDmf

— ANI UP (@ANINewsUP) July 24, 2020


30 लाख रुपये की व्यवस्था की
अपहरण के बाद, संजीत को आरोपियों द्वारा किराए के एक घर में रखा गया था। इस दाैरान 26 जून को जब संजीत ने भागने की कोशिश की तो अपहरणकर्ताओं ने उसे मारने का फैसला किया। अगली सुबह उन्होंने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी और उसके शव को नहर में फेंक दिया। इस मामले में परिजनों का आराेप है कि 29 जून को अपहरणकर्ताओं ने संजीत परिवार को फोन किया और फिरौती के रूप में 30 लाख रुपये की मांग की। पुलिस ने परिजनों से अपहरणकर्ताओं को फिरौती की रकम देने के लिए कहा। परिवार ने 30 लाख रुपये की व्यवस्था की और 13 जुलाई को अपहरणकर्ताओं द्वारा बताई जगह पर पहुंच गए।
पुलिस का बिछाया जाल हुआ बेकार
हालांकि इस दाैरान पुलिस का बिछाया सारा जाल तब बेकार हो गया जब अपहरणकर्ता पैसे लेकर भाग गए और पीड़ित संजीत का कोई संकेत नहीं मिला था।आईजी ने कहा कि इस मामले में लापरवाही के लिए एसएचओ बर्रा रणजीत राय को निलंबित कर दिया गया है। हम शव को बरामद करने की कोशिश कर रहे हैं। जब उनसे फिरौती के पैसे के ठिकाने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा हमारी जांच के अनुसार, कोई पैसा नहीं दिया गया था। हालांकि परिवार पैसे देने का आरोप लगा रहा है, हम जांच करेंगे। पहले तो परिवार ने कहा कि उन्होंने पैसे नहीं दिए हैं। बाद में उन्होंने कहा पैसा दिया गया है। अगर पैसा आरोपी को दिया गया है तो हम उसे वसूल करेंगे।
फिरौती लेने से इनकार किया है
वहीं कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) दिनेश कुमार ने कहा कि पैसों से भरा बैग 13 जुलाई को संजीत के परिवार द्वारा बर्रा बाईपास के पास ओवरब्रिज से फेंका गया था। हालांकि अपहरण के मास्टरमाइंड ज्ञानेंद्र यादव ने भी फिरौती लेने से इनकार किया। उसका कहना है कि हमने 30 लाख रुपये मांगे थे। हालांकि जब रामजी बैग लेने गया तो पुलिस वहां पहुंच गई थी। इसलिए वह बैग नहीं ला सका और फाइनली हम लोग वहां से भाग निकले। 23 जून को संजीत यादव के परिवार ने पुलिस के पास उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई जिसके बाद 26 जून को बर्रा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था।

Posted By: Shweta Mishra