बकिंघम पैलेस का पहला पगड़ी वाला सुरक्षा गॉर्ड
सेना के सिख गुरू मंदीप कौर ने ब्रिटिश अख़बार द मेल को बताया, “जतिंदरपाल पगड़ी पहनते हैं और उन्होंने अपनी दाढ़ी और बाल नहीं कटवाए हैं, इसके चलते उनके साथी उनपर छिंटाकशी कर रहे हैं.”
मंदीप कौर ने आगे बताया है कि जतिंदरपाल अपने साथियों को यह नहीं समझा पा रहे हैं कि उनके लिए पगड़ी की क्या अहमियत है. मंदीप ने बताया, “सेना के ज़्यादातर लोगों को सिख धर्म की परंपराओं के बारे में मालूम नहीं है. लेकिन जतिंदरपाल अपने धर्म से जुड़ी हर परंपरा के बारे में लोगों को बताने के लिए प्रतिबद्ध हैं.”दरअसल ब्रिटेन में जन्मे 25 साल के जतिंदरपाल सिंह भुल्लर 2012 की शुरुआत में स्कॉट गॉर्ड्स में शामिल हुए. स्कॉट गॉर्ड्स ब्रिटिश सेना में पैदल सिपाहियों का बेहद ख़ास रेजीमेंट है.स्कॉट गार्ड्स लाल ट्यूनिक और अंडाकार कलगी पहने के लिए जाने जाते हैं और ब्रिटेन आने वाले पर्यटकों के बीच आकर्षण के केंद्र हैं. काफी लोग ऐसे गार्ड्स के साथ तस्वीरें खिंचवाने की कोशिश करते हैं.
ब्रिटिश अख़बार डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक भुल्लर को स्कॉट गॉर्ड्स में तैनाती के दौरान पगड़ी पहनने की इजाज़त दी गई थी. इसके अलावा उन्हें दाढ़ी रखने और बाल रखने की भी इजाजत मिली हुई है.
बदली 180 साल पुरानी परंपराब्रिटिश सेना ने इसके लिए सौ साल पुरानी परंपरा को बदला था. स्कॉट गॉर्ड्स की स्थापना 1642 में हुई थी और 1832 से सिपाही लाल ट्यूनिक और अंडाकार कलगी का इस्तेमाल कर रहे हैं. स्कॉट गॉर्ड्स के अंदर परंपरावादी समूह का कहना है कि भुल्लर को छूट दिए जाने से इस विशेष टुकड़ी की ख़ासियत प्रभावित हुई है और पर्यटकों के बीच छवि खराब हुई है.डंयूडी शाखा के चेयरमैन डेविड काथिल कहते हैं, “स्कॉर्ट गॉर्ड्स सेना पहले है, धर्म बाद में. अगर कोई सिपाही ख़ास कलगी नहीं पहनता है तो वह सिपाही नहीं हो सकता.”सेना के अंदर विवादकाथिल के मुताबिक, “सालों से चली रही परंपरा को कायम रखने की जरूरत है, मैं जतिंदरपाल की धार्मिक भावना का सम्मान करता हूं लेकिन सैनिक परेड में पगड़ी पहन कर शामिल होना हास्यास्पद लगेगा.”वहीं दूसरी ओर रक्षा मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है, “सेना जतिंदरपाल सिंह को शामिल करके काफी गर्व महसूस कर रही है. इससे सेना को विविधरंगी बनाने में मदद मिलेगी. हम जतिंदरपाल सिंह की हरसंभव मदद करेंगे.”भुल्लर इन दिनों बर्ड कैज वॉक के वेलिंगटन बैरक में तैनात हैं. इस बैरक का इस्तेमाल स्कॉट गॉर्ड्स के एफ कंपनी के सिपाहियों द्वारा किया जा रहा है जिनके पास ब्रिटिश महारानी की सुरक्षा और सावर्जनिक प्रोटोकॉल की जिम्मेदारी है.
सेना के सूत्रों के मुताबिक भुल्लर अगले सप्ताह परेड में हिस्सा ले सकते हैं. जब वे परेड में हिस्सा लेंगे तब सेना की परंपरागत हैट का इस्तेमाल नहीं करने वाले पहले सिपाही बन जाएंगे.