कथित तौर पर ज़हरीले रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के मसले पर सख़्त रुख़ अपनाते हुए अमरीका सीरिया के ख़िलाफ़ सैन्य कार्रवाई की सोच रहा है.
इस आशंका के बीच कुछ उन मारक हथियारों का जायज़ा, जिनका इस्तेमाल हमले की स्थिति में दोनों पक्षों की तरफ़ से हो सकता है.अमरीकी सेनाटॉम हॉक क्रूज़ मिसाइल(यूएसएस ग्रेवली का इस्तेमाल क्रूज़ मिसाइलें छोड़ने के लिए किया जा सकता है.)अमरीका के पूर्वी भूमध्य सागर में आर्ली बर्क क्लास के चार लड़ाकू जहाज़ मौजूद हैं. ये नौसैनिक जहाज़ 154 मीटर लंबे हैं और ये क्रूज़ मिसाइलें ढो सकते हैं.ये अमरीका के भारी हथियारों से लैस बड़े जंगी जहाज़ों में हैं.यह अमेरिका का पहला ऐसा युद्धपोत था जिसमें एयर फ़िल्टरेशन सिस्टम डिज़ाइन किया गया ताकि इस पर परमाणु, जैविक और रासायनिक हमले का असर न हो.विमानवाहक जहाजइस क्षेत्र में अमरीका के पास यूएसएस हैरी एस ट्रूमैन और यूएसएस निमिट्ज़ दो विमानवाहक जहाज़ हैं.
परमाणु ऊर्जा से संचालित होने वाले इन दो बड़े जंगी जहाज़ों में हवाई हमले करने से भी बड़ी क्षमता है.अगर अमरीका सीमित कार्रवाई की योजना बनाता है तो हो सकता है कि इनका इस्तेमाल न हो.ये दुनिया के सबसे बड़े विमान वाहक जहाजों में शामिल हैं और 1,100 फीट लंबे हैं. इनमें 85 विमान रखने की क्षमता है.
एफ-16 लड़ाकू विमान
(एफ-15 स्ट्राइक ईगल कई तरह की मारक क्षमता रखने वाला लड़ाकू विमान है.)एफ-15 भी कई तरह की भूमिका निभाने वाला विमान है. एफ-15 लंबी दूरी और तेज़ गति से ज़मीनी हमले करने के लिए बनाया गया था.इसके दो इंजन मिलकर ताक़त लगाते हैं, जिससे सीधे ऊपर की ओर जाते हुए भी इसकी गति तेज़ हो जाती है.एफ़-15 ई स्ट्राइक ईगल 'लैंटर्न' नेविगेशन और लक्ष्य साधने वाले तंत्र से लैस है, जिसके ज़रिए इंफ्रारेड या लेज़र निर्देशित बमों का इस्तेमाल कर सटीक तरीक़े से हमला करने की क्षमता में सुधार किया जाता है.इसमें ज़मीन का जायज़ा लेने वाला राडार भी है जिसे विमान के ऑटोपायलट से जोड़ा जा सकता है ताकि यह 100 फ़ीट की ऊंचाई से ज़मीन पर निगाह रख सके.
फ्रांसीसी सेना(सोवियत संघ ने 1967 में एस-200 मिसाइल तैयार कराई थी.)नैटो के लिए एस-200 मिसाइल का कोड नाम एसए-5 'गैमन' है. इसे सोवियत संघ ने 1960 के दशक में विमानभेदी मिसाइल के तौर पर तैयार किया था.सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ के मुताबिक सीरिया ने संभवतः अपनी दो हवाई रेजीमेंट में आठ एस-200 मिसाइलें तैनात की हैं.
इस मिसाइल में तरल ईंधन का इस्तेमाल होता है और यह 8 मैक तक की गति पर उड़ान भर सकती है. यह 217 किलो वज़न वाले बम से विस्फोट करने से पहले राडार के ज़रिए अपने लक्ष्य तक पहुंचती है.रूस ने 20 साल से पहले ही एस-200 को उपयोग से बाहर करने का अभियान शुरू कर दिया था और सैन्य विश्लेषक इसे अप्रचलित मानते हैं.विद्रोही गुटों के कुछ हवाई अड्डों और राडार साइटों पर कब्ज़ा कर लेने से इसके सफ़ल होने पर संदेह जताया जा रहा है.
एस-300 विमानभेदी मिसाइल(तटीय क्षेत्रों की रक्षा करने के लिए सुपरसोनिक पी-800 याकहोंट मिसाइलें डिज़ाइन की गईं.)नैटो में एसएस-एन 26 नाम से मशहूर पी-800 याकहोंट रूस की एक परिष्कृत मिसाइल है जो पानी में चलने वाले जंगी जहाज़ों को अपना निशाना बनाती है.इन सुपरसोनिक मिसाइलों का दायरा 300 किलोमीटर तक है और इसमें 200 किलो का एक विस्फोटक होता है.यह 5 से15 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है, ऐसे में इसका पता लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
लड़ाकू विमान(सीरियाई वायु सेना ने हाल में एल-39 ट्रेनिंग लड़ाकू विमान का सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किया है.)
सीरियाई वायु सेना के पास कई तरह के लड़ाकू विमान हैं, जिन्हें उसने रूस से ख़रीदा है लेकिन इनमें से कई पुराने और बेकार हो चुके हैं.इस साल मई में इंस्टीट्यूट फॉर दि स्टडी ऑफ वॉर (आईएसडब्ल्यू) ने रिपोर्ट दी थी जिसके मुताबिक बेहद प्रभावी "मिग और एसयू विमान के लिए अतिरिक्त पुर्ज़ों की आपूर्ति, रखरखाव के साथ-साथ युद्ध अभियान सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण की ज़रूरत बताई गई थी.परिचालन से जुड़ी दिक्क़तें देखते हुए आईएसडब्ल्यू ने देखा कि संघर्ष की शुरुआत से ही वायुसेना ने विद्रोही ताक़तों के ख़िलाफ़ ज़मीनी हमले के लिए अधिक मजबूत लेकिन कम क्षमता वाले एल-39 ट्रेनर विमानों का ज़्यादा इस्तेमाल किया.
Posted By: Satyendra Kumar Singh