युवावस्‍था के बाद अचानक आर्थिक नुकसान से जान का जोखिम बढ़ जाता है। अमेरिका के नॉर्थवेस्‍टर्न यूनिवर्सिटी की एक स्‍टडी में खुलासा हुआ है कि मिडिल एज या ज्‍यादा उम्र के लोगों में अचानक फाइनेंशियल लॉस होने से जान जानें का खतरा बढ़ जाता है।


50 फीसदी बढ़ जाता है जोखिमवाशिंगटन (प्रेट्र)। शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब लोग अपनी कुल संपत्ति का 75 फीसदी या उससे ज्यादा हिस्सा दो सालों के दौरान गंवा देते हैं तो अगले 20 साल में उनके जान जाने का खतरा 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। अमेरिका के नार्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी की लिंडसे पूल ने कहा कि जीवन भर की कमाई जब अचानक गायब हो जाती है तो इसका उस व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।25 फीसदी अमेरिकियों को नुकसान
पूल का कहना था कि यह एक व्यापक मुद्दा है। यह सिर्फ कुछ लोगों की समस्या नहीं है बल्कि अमेरिका में तो 20 सालों के दौरान 25 फीसदी लोगों को आर्थिक नुकसान से इस तरह का आघात लग चुका है। यह रिसर्च जेएएमए जर्नल में प्रकाशित हुआ था। रिसर्च इस बात पर थी कि आर्थिक नुकसान का व्यक्ति की सेहत पर लंबे समय में क्या असर पड़ता है।


रिसर्च में मिले नये सबूत

शोधकर्ताओं ने कहा है कि उन्हें रिसर्च में नये सबूत मिले हैं। इस बात पक्की है कि बड़ी उम्र (मिडिल एज या वृद्धावस्था) में अचानक घाटा होने से लंबे समय में लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ता है। निम्न आय वर्ग के लोगों के मामले में देखा गया कि 20 वर्षों के दौरान उनकी मृत्यु दर के जोखिम में 67 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया। इस वर्ग में ऐसे लोग थे जिनके पास बहुत पैसा नहीं था और स्वास्थ्य की बजाए उनके सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी को ध्यान में रखा गया।ईलाज के लिए पैसा न बचना समस्यापूल ने कहा कि रिसर्च में जो सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात सामने आई वह यह थी कि जीवन भर कमा कर संपत्ति बनाना फिर उसे खो देना, कंगाली की इस हालत से आपके जान जाने का जोखिम बढ़ जाता है। आर्थिक क्षति का सदमा लगने से ऐसे लोग मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं और वे ठीक भी नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास ईलाज के लिए पैसे नहीं बचते।

Posted By: Satyendra Kumar Singh