पाकिस्तानी रुपया अमरीकी डॉलर के मुकाबले लगातार लुढ़क रहा है. पाकिस्तानी रूपये की गिरती सेहत ने पाकिस्तान के आर्थिक संकट को बढ़ा दिया है.


हालांकि, पाकिस्तान ने इसी साल सितंबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 6.68 अरब डॉलर सहायता के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इससे भी देश को कोई विशेष लाभ नहीं हुआ है.इन सबके बीच पाकिस्तान में महंगाई भी आसमान छूने लगी है. 16 महीनों के अंतराल के बाद महंगाई की दर दोहरे अंक में प्रवेश कर गई है. नवंबर में महंगाई दर 10.9 प्रतिशत आंकी गई है.दरअसल पाकिस्तान की मौजूदा सरकार 11 मई को हुए चुनाव के बाद जब से सत्ता में आई है, उसे आर्थिक मोर्चे पर संकट का सामना करना पड़ रहा है.दिसंबर, 2012 में पाकिस्तान के पास उतना ही विदेशी मुद्रा भंडार था, जिससे वे दो से ज्यादा महीनों तक आयात कर सकते थे. लेकिन फ़रवरी, 2013 के आते-आते यह महज़ 13 अरब डॉलर तक रह गया. तब खुले बाज़ार में एक डॉलर की कीमत 99 पाकिस्तानी रुपए तक पहुंच गई थी.



मुश्किल में नवाज़ शरीफ़
विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के अलावा लगातार बढ़ रही महंगाई दर भी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की मुश्किलों को बढ़ा रहा है. नवंबर में देश में महंगाई दर 10.9 प्रतिशत तक पहुंच गई.

जून, 2013 में जब शरीफ़ प्रधानमंत्री बने तब महंगाई दर 5.9 फ़ीसदी थी, जो पांच महीनों के भीतर लगभग दोगुनी हो गई है.इन सबके बीच पाकिस्तान के वित्त मंत्री और नवाज़ शरीफ़ की आर्थिक टीम के मुखिया इशाक डार ने जियो न्यूज़ के टॉक शो में हिस्सा लेते हुए बाज़ार को भरोसा दिलाया है कि हालात सुधर जाएंगे. उन्होंने बताया है कि डॉलर के मुक़ाबले रुपये की स्थिति सुधर रही है.अभी एक अमरीकी डॉलर की दर 98 पाकिस्तानी रुपये के बराबर है.इशाक डार के मुताबिक पाकिस्तान सरकार औद्योगिक विस्तार और निवेश को बढ़ावा देने की कोशिशों में जुटी है.

Posted By: Subhesh Sharma