पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 8 रुपये तक बढ़ सकती है, संसद में विधेयक हुआ पास
नई दिल्ली (पीटीआई)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में वित्त विधेयक 2020 पेश किया, जिसे पास कर दिया गया है। इस विधेयक के पास होते ही पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने का सरकार को अधिकार मिल गया। संसद ने इस पर बिना चर्चा किए इसे पारित कर दिया। वित्त विधेयक में मुख्य बदलाव के साथ ही सरकार भविष्य में कभी भी पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 8 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी कर सकती है।
14 मार्च को बढ़ाया गया था उत्पाद शुल्कसीतारमण ने वित्त विधेयक, 2020 में एक सीमा तक संशोधन किया, ताकि सरकार पेट्रोल और डीजल पर विशेष उत्पाद शुल्क क्रमश: 18 रुपये प्रति लीटर और 12 रुपये प्रति लीटर बढ़ा सके। बता दें सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी, जिससे राजस्व में सालाना 39,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी हुई। इस शुल्क वृद्धि में विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में 2 रुपये की वृद्धि और सड़क और बुनियादी ढांचे के उपकर में 1 रुपये शामिल थे।
सरकार को मिल गया और अधिकारअब वित्त अधिनियम की आठवीं अनुसूची में संशोधन के माध्यम से, यह सीमा पेट्रोल के मामले में 18 रुपये प्रति लीटर और डीजल के मामले में 12 रुपये हो गई है। एक अधिकारी ने कहा कि यह एक सक्षम प्रावधान है और सरकार को किसी भी समय पेट्रोल और डीजल में 8 रुपये प्रति लीटर तक ड्यूटी बढ़ाने की शक्ति देता है। बता दें 14 मार्च को उत्पाद शुल्क में जो वृद्धि की गई थी, वो अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में मंदी से उत्पन्न लाभ को दूर करने के लिए थी।
मोदी सरकार में पेट्रोल-डीजल की स्थितिकेंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पेट्रोल के मामले में पेट्रोल पर विशेष उत्पाद शुल्क 2 से 8 रुपये प्रति लीटर और डीजल के मामले में 2 रुपये से 4 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ा दिया गया था। इसके अतिरिक्त, सड़क उपकर को पेट्रोल और डीजल पर प्रत्येक 1 रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया।2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने पर पेट्रोल पर टैक्स 9.48 रुपये प्रति लीटर था और डीजल पर 3.56 रुपये प्रति लीटर था। बताते चलें सरकार ने नवंबर 2014 और जनवरी 2016 के बीच वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट से होने वाले लाभ को दूर करने के लिए पेट्रोल और डीजल पर नौ बार उत्पाद शुल्क लगाया था।