मेसी बन गए माराडोना पर 1986 वाले नहीं 1990 वाले माराडोना
मेसी बनाम क्लोसाएक ओर मेसी थे जिनके नाम विश्व कप शुरू होने से पहले सिर्फ एक विश्व कप का गोल था फिर भी वो दुनिया की आंखों के तारे थे और दूसरी ओर जर्मनी के मिरोस्लाव क्लोसा थे तो इस विश्व कप से पहले तीन विश्व कप में कुल 14 गोल मार चुके थे लेकिन फिर भी चर्चा से बाहर थे. सपना पूरा हुआ पर सुपर स्टार मेसी का नहीं पिछले तीन विश्व कप के अनसंग रह गए हीरो क्लोसा का जिनके करिअर में विश्व कप की सफलता जुड़ गई.डिजर्विंग टीम ही जीतती है विश्व कप
जब 90 मिनट तक दोनों टीमें गोल नहीं कर सकीं तो एक्ट्रा टाइम शुरू हुआ. पहले 15 मिनट में दोनों टीमों ने गोल करने के लिए जान लगा दी पर नतीजा वही सिफर. एक्ट्रा टाइम के दूसरे हाफ में जब खेल शुरू हुआ तो लगा अर्जेंटीना ने मान लिया है कि मैच का फैसला पेनाल्टी शूट आउट से होगा. अर्जेंटीना थोड़ा सा डिफेंसिव हुई और यहीं पर खेल हो गया. एक्ट्रा टाइम खत्म होने के सात मिनट पहले क्लोसा की जगह आए रिप्लेसमेंट गोट्जे ने वो कर दिखाया जो उस मैच में बड़े-बड़े नहीं कर पाए थे. गोट्जे ने गेंद को सीने से कंट्रोल किया और बेहतरीन वॉली करके गोल जड़ दिया. अर्जेंटीना और पूरी दुनिया में उसके प्रशंसक स्तब्ध रह गए. सबको पता था कि बाकी बचे 6 मिनट में गोल उतार पाना मुश्किल की नहीं नामुमकिन है. 22 साल के युवा ने 24 साल का सूखा खत्म कर दिया था. इकलौते खिलाड़ी मेसी के बल पर खेलने की सजा अर्जेंटीना को मिलने जा रही थी.गोल्डन बॉल पाकर भी निराश