ज्योति बसु: नेता जिसे उसके विरोधी मोहब्बत करते थे
तब भी कमला बसु सिद्धार्थ से अक्सर शिकायत करतीं थीं कि अपने दोस्त को बताएं कि घर किस तरह से चलाया जाता है? वो अभी भी लगभग पूरा वेतन पार्टी को दे देते हैं और मेरे लिए दोनों वक्त का खाना बनाना मुसीबत हो जाता है.एक बार चंद्रनगर से कोलकाता आते हुए ज्योति बसु और सिद्धार्थशंकर राय को कुछ सुंदर कन्याओं ने घेर लिया. ज्योति उस ज़माने में स्टार राजनीतिज्ञ हुआ करते थे, इसलिए सब उनके ऑटोग्राफ़ मांगने लगीं.
लेकिन वो उनके हस्ताक्षर भर से संतुष्ट नहीं हुईं. उनका इसरार था कि ज्योति हस्ताक्षर के साथ एक दो पंक्तियाँ भी लिखें. लेकिन ज्योति ने ऐसा करने से इंकार कर दिया.जब वो कार में आए तो सिद्धार्थ ने मज़ाक किया कि आप इतनी सुंदर कन्याओं को किस तरह से मना कर सकते हैं. आप टैगोर की ही एक दो पंक्ति लिख देते. इस पर ज्योति बसु ने बंगाली में जवाब दिया, 'जानबे तो लिखबो' (पता होता तभी तो लिखता.)इंदिरा गांधी से मुलाकात
इस पर ज्योति बसु ने कहा, "नालायक! क्या तुम पूरी दुनिया में ढ़िंढ़ोरा पीटना चाहते हो कि मैं इंदिरा गांधी से मिलने उनके निवास स्थान पर गया था." सौभाग्य से सिद्धार्थ शंकर राय को रास्ता मिल गया और किसी थाने जाने की नौबत नहीं आई.सरकार पर हमला बोलिएराजनीतिक विरोध के बावजूद वो कांग्रेस के नेता ए बी ग़नी खां चौधरी को अपने परिवार का सदस्य मानते थे. वो बरकत दा को शाहेब कह कर बुलाते थे.उनकी बहन हर दो सप्ताह पर ज्योति बसु के लिए बिरयानी भेजा करती थीं. कभी कभी किन्हीं कारणों से जब बिरयानी नहीं पहुंच पाती थी तो ज्योति फ़ोन कर कहा करते थे, "पठाओ नी केनो."बंगला पत्रकार तरुण गांगुली एक मज़ेदार किस्सा सुनाते हैं. एक बार ज्योति बसु ने बरकत दा के भाई और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता से अकेले में कहा कि आप फ़लां फ़लां मुद्दे पर सदन में सरकार पर हमला क्यों नहीं बोलते? आपको कड़े शब्द इस्तेमाल करने चाहिए. कागज़ कलम निकालिए और लिखिए कि अगले दिन आप किस तरह हम पर हमला बोलेंगे.फ़ीडेल कास्ट्रो सीऑफ़ करने आए
सीता राम येचूरी बताते हैं कि 1993 में ज्योति बसु को क्यूबा आने का निमंत्रण मिला. यात्रा के दौरान जब ज्योति रात को सोने की तैयारी कर रहे थे तभी उन्हें संदेश मिला कि फ़ीडेल कास्ट्रो उनसे मिलना चाहते हैं.ज्योति सीता राम येचूरी के साथ आधी रात के आसपास उनसे मिलने पहुँचे. सीता राम येचूरी बताते हैं कि वो बैठक डेढ़ घंटे चली. कास्ट्रो उनसे सवाल पर सवाल किए जा रहे थे.भारत कितना कोयला पैदा करता है ? वहाँ कितना लोहा पैदा होता है ? वगैरह वगैरह... एक समय ऐसा आया कि ज्योति बसु ने बंगाली में मुझसे कहा, "एकी आमार इंटरव्यू नीच्चे ना कि"(ये क्या मेरा इंटरव्यू ले रहे हैं क्या?).अगले दिन जब ज्योति वापस जाने के लिए हवाना एयरपोर्ट पहुँचे तो पता चला कि फ़ीडेल कास्ट्रो उन्हें सीऑफ करने के लिए वहाँ पहुँचे हुए हैं.हमें मंदिर जाना चाहिएसीता राम येचूरी पहली बार 1989 में ज्योति बसु के साथ नेपाल विदेश यात्रा पर गए थे. वो नेपाल सरकार के राजकीय अतिथि थे. इसलिए उन्होंने ज्योति बसु के लिए पशुपतिनाथ मंदिर जाने का कार्यक्रम रखा. येचूरी ने उनसे पूछा कि उन्होंने मंदिर जाने से इंकार क्यों नहीं कर दिया.
उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत हर विदेशी मेहमान को राज घाट ले जाता है चाहे उसका गांधीवाद में विश्वास हो या नहीं, उसी तरह नास्तिक होते हुए भी हमें पशुपतिनाथ मंदिर जाना चाहिए.ज्योति बसु की पुत्र वधू डौली बसु बताती हैं, "मेरी शादी के एक दिन बाद ही मुझे बुखार चढ़ गया. अगली सुबह जब मैं बिस्तर में ही थी कि मैनें रसोई में कुछ बर्तन खड़खड़ाने की आवाज़ सुनी."मेरे ससुर एक पतीली में पानी गर्म कर रहे थे. ज्योति ने कहा, "तुम्हें गर्म पानी इस्तेमाल करना चाहिए वर्ना ठंड लग जाएगी." बसु ने अपने हाथों से अपनी बीमार पुत्र वधु के लिए चाय बनाई. डौली बताती हैं, "उनके इस व्यवहार ने हम दोनों के बीच ऐसा संबंध कायम कर दिया जो ताउम्र बरकरार रहा."धरमतल्ला के दिनबहुत कम लोग जानते हैं कि ज्योति बसु ने 21 साल की उम्र में अपना पहला चाय का प्याला पिया क्योंकि उनके पिता ने उन्हें चाय पीने की मनाही कर रखी थी.एक बार चेन्नई के लोयला कॉलेज ने एक समारोह में उन्हें आमंत्रित किया. वहीँ दिए गए भाषण में ज्योति बसु ने एक मज़ेदार बात बताई कि जब वो लोरेटो धरमतल्ला में पढ़ते थे तो कक्षा दो में उनकी पूरी क्लास में सभी लड़कियों के बीच में वो अकेले लड़के थे. उनका ये कहना था कि कुछ लोग तालियां बजाने लगे.एक दो लोगों ने सीटियाँ भी बजाईं. बहुत हिम्मत जुटा कर एक लड़का खड़ा हुआ और उसने सवाल किया, "सर इतनी सारी लड़कियों के साथ आपने किया क्या." ज्योति बाबू ने अपनी दुर्लभ मुस्कान बिखेरी और बोले, "उस उम्र में आप कर भी क्या सकते हैं!"मेरी शिक्षा पूर्ण नहीं है