'लड़की दायरे में रहे तो देवी वर्ना वो डायन है. इसी मानसिकता की वजह से भारत में मुट्ठी भर स्टैंड अप महिला कॉमेडियन हैं.'


ये मानना है मुंबई की युवा महिला स्टैंड अप कॉमेडियन अदिति मित्तल का.टीवी, रेस्टॉरेंट, पब और तमाम क्लब में जहां पुरुष स्टैंड अप कॉमेडियन की भरमार है वहीं इस विधा में लड़कियों की भागीदारी बहुत कम है. ऐसा क्यों है ?अदिति कहती हैं, "एक दफ़ा मैंने अपने एक शो में कुछ ऐसे जोक सुना दिए जो दर्शकों में से एक सज्जन को नागवार गुज़रे. उन्हें लगा कि एक लड़की होने के नाते मुझे ऐसी बिंदास बातें नहीं करनी चाहिए. मुझसे आकर वो बोले, बेटा! ऐसी बातें करोगी तो कौन तुमसे शादी करेगा."महिलाओं के लिए बाधाएंदिल्ली की स्टैंड अप कॉमेडियन वासु प्रिमलानी कहती हैं, “लोग क्यों चाहते हैं कि लड़कियां बस अपना मुंह बंद रखें. बल्कि मैं तो कहती हूं कि कोई और लड़की भी अगर इस क्षेत्र में आगे आना चाहती है तो उसका स्वागत है.”
वासु के मुताबिक़ कई लोगों को ये स्वीकार करने में बड़ी दिक़्क़त होती है कि लड़की होकर कैसे जोक मार रही है.अब औरतें हंसाएंगीदिल्ली के कॉमेडियन महीप सिंह 'न्यू दिल्ली कॉमेडी क्लब' के संस्थापक हैं. वो बताते हैं कि जब वो ओपन माइक शो का आयोजन करते हैं तो बहुत कम महिलाएं सामने आती हैं.


वो कहते हैं, “हम चाहते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं आगे आएं. हम उनकी मुश्किलें आसान करने की कोशिश करेंगे. जो नहीं आ सकती वो ऐसे शो में अपना वीडियो भी जनता के साथ सोशल मीडिया के ज़रिए शेयर कर सकती हैं. हम उसे शेयर करेंगे. प्रतिभाओं को ऐसे कारणों की वजह से नही रुकना चाहिए.”

Posted By: Satyendra Kumar Singh