यहां परंपरा के नाम पर पिता ही करते हैं बेटियों का सौदा
बेटी पैदा होने का जश्न
जब देश के अधिकांश क्षेत्रों में लोग बेटी के जन्म पर मातम बनाते हें तब मध्यप्रदेश के बांछड़ा समुदाय में बेटी का जन्म लेना उत्सव का कारण बनता है। पर ये बात महिला सशक्तिकरण के सर्मथकों के लिए खुशी की नहीं है। क्योंकि जश्न की वजह ये कि परिवार की कमाई का साधन हो गया। इस परिवार की कम से कम बड़ी बेटी को तो वेश्या बनना ही होता है और परिवार की जीविका चलानी होती है। क्योंकि बेटी की जिस्म फरोशी से यहां के ज्यरदातर घरों में चुल्हा जलता है।
पूरा परिवार खोजता है ग्राहक
बांछड़ा समुदाय में बेटी के लिए ग्राहक ढूंढने की जिम्मेदारी वैसे तो पिता की होती है पर इस काम में पूरा परिवार सहयोग करता है। वे बड़ी बेटी ही नहीं परिवार की सारी बेटियों को देह व्यापार में लगा सकते हैं। जो सबसे पहले ग्राहक लाता है उसका हिस्सा कमाई में ज्यादा होता है। परिवार के लाये इस ग्राहक के साथ बेटिया उसी घर में यौन संबंध बनाती हैं।
शादियां पड़ती हैं मंहगी
अगर कोई युवक इन लड़कियों से शादी करना चाहता है तो उसे शुल्क के रूप में 15 लाख रुपए तक का मूल्य चुकाना होता है यही वजह है कि इस समुदाय के अधिकांश युवक कुंवारे ही रह जाते हैं। मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में करीब 70 गांव ऐसे हैं जिसमें बांछड़ा अ्राइब के लोग निवास करते हैं और उसके चलते यहां देह व्यपार की करीब 250 मंडियां हैं, जहां पिता अपने परिवार सहित बेटी के जिस्म का सौदा करते हैं।