आप बेशक क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और उनके बेटे के अर्जुन तेंदुलकर की जोड़ी को आधुनिक भरत की प्रथम क्रिकेट फेमिली कहें लेकिन ये पहली पिता पुत्र की जोड़ी नहीं है जिसने भारतीय क्रिकेट में नाम कमाया। आइये आपको मिलवाते हैं ऐसे ही कुछ मशहूर फादर और सन से जो भरतीय क्रिकेट में मशहूर हुए।
By: Molly Seth
Updated Date: Mon, 02 Jan 2017 01:43 PM (IST)
अर्जुन और सचिन तेंदुलकर: अपने पिता सचिन तेंदुलकर जैसा नाम कमाने के लिए अर्जुन तेंदुलकर को एक लंबा सफर तय करना है। हालाकि इस दिशा में उन्होंने आगे बढ़ना शुरू कर दिया है और जूनियर क्रिकेट में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी है।
रोहन और सुनील गावस्कर: ऐसी ही दूसरी फेमस क्रिकेट फेमिली रही लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर और उनके बेटे रोहन गावस्कर की। अब ये सुनील जैसे शानदार खिलाड़ी पिता के नाम को आगे बढ़ाने का दवाब था या नैसर्गिक प्रतिभा का आभाव लेकिन रोहन वो मुकाम नहीं पा सके जिसकी उनसे उम्मीद की जाती थी। इसके बावजूद पिता की 34 सेंचुरी के जवाब में उन्होंने 18 फर्स्ट क्लास सेंचुरी का सम्मानजनक लक्ष्य प्राप्त किया।
मोहिंदर और लाला अमरनाथ: लाला अमरनाथ का वास्तविक नाम नानिक अमरनाथ भारद्वाज था लेकिन इस नाम से उन्हें कम ही लोग जानते थे। वे स्वतंत्र भारत की क्रिकेट टेस्ट टीम के पहले कप्तान थे। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को विश्व में एक सम्मान जनक पहचान दिलाई तो उनके बेटे मोहिंदर अमरनाथ ने टीम इंउिया को पहली बार विश्व विजेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे इस सीरीज में मैन ऑफ द टूर्नामेंट घोषित किए गए। मोहिंदर के भाई सुरिंदर अमरनाथ भी क्रिकेटर रहे हैं पर उनको वो शोहरत नहीं मिल सकी जो पिता और भाई के हिस्से में आयी थी।
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युवराज सिंह और योगराज सिंह: अब तक जिक्र की गयी जोड़ियों में से ये पहली पिता पुत्र की जोड़ी है जिसमें बेटा बाप से कई कदम आगे निकल गया। युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह ने छह एक दिवसीय और एक टेस्ट मैच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेला है। लेकिन युवराज ने ना सिर्फ कहीं ज्यादा मैच खेले हैं बल्कि 2007 के टी 20 वर्ड कप में भारत को विजय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। 2011 के वर्ड कप में भी वो अपने शानदार खेल के कारण उन्हें मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया।
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मंसूर अली खान और इफ्तिखार अली खान पटौदी: इफ्तिखार अली खान भारत में पटौदी के नवाब थे और उन्होंने गुलाम भारत में इंग्लैंड की ओर से क्रिकेट खेलना प्रारंभ किया था। 1946 के बाद वे स्वतंत्र भारत की टीम का हिस्सा भी रहे पर केवल छह टेस्ट खेल सके और कोई खास स्कोर नहीं बना सके। वहीं उनके बेटे मंसूर अली खान पटौदी ने इस खेल में अपना ऊंचा मुकाम हासिल किया। वे भारतीय टीम के बेस्ट कप्तानों में गिने जाते हैं और उनके नेतृत्व में टीम इंडिया ने कई मैच जीते हैं।
स्टूअर्ट और रॉजर बिन्नी: इन दिनों जिस पिता पुत्र की भारतीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा चर्चा है वो है मीडियम पेस बॉलिंग करने वाले रॉजर बिन्नी और उनके बेटे स्टूअर्ट बिन्नी की। रॉजर बिन्नी 1983 वर्ल्ड कप विजेता टीम के हीरो रहे हैं। बोलर पिता के बेट स्टूअर्ट स्टुअर्ट बिन्नी ऑलराउंडर हैं। शुरू में लोगों ने उनके पिता के सलेक्टर्स में शामिल होने के चलते फेवर का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में अपने खेल से स्टूअर्ट ने अपने खेल से आलोचकों का मुंह बंद कर दिया।
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