आपका स्मार्ट सिटी क्या देगा आपको? जान लीजिए यहां
किसी भी शहर मैं ऐसी कौन सी खासियतें होनी चाहिए कि हम उसे स्मार्ट सिटी कह सके?
किसी भी शहर को स्मार्ट सिटी बताया जाना तमाम छोटीबड़ी नागरिक सुविधाओं की उपलब्धता पर निर्भर करता है। मान लीजिए कि मुझे कहीं जाना है तो यूं ही घर पर बैठे बैठे ही अपने सबसे नजदीकी ट्रांसपोर्ट के बेस्ट साधन का चुनाव कर सकूं और मैं उस तक या वो मुझ तक कम समय में आसानी से पहुंच सके। या फिर मैं अपनी कार से जा रहा हूं तो डेस्टिनेशन पर या उसके आसपास कहां और कैसी पार्किंग की सुविधा है। यह मुझे पहले से ही पता चल सके। घर में पानी नहीं आ रहा है, या बिजली गायब है तो टेक्नोलॉजी से लैस सिस्टम मुझे तुंरत यह बता दे कि आखिर क्या और कहां प्रॉब्लम हुई है और उसे ठीक करने में कितना वक्त लगेगा। मेरे बच्चे को स्कूल जाने में या वहां से लौटने में घंटों का नहीं बल्कि मिनटों का समय लगता है। तो वो शहर स्मार्ट सिटी होना चाहिए। कहने कामतलब यह है कि शहर में रहने वाले हर एक व्यक्ति को तमाम नागरिक सुविधाएं उसके फिंगर टिप्स पर मिलनीं चाहिए और शहर के भीतर किसी भी तरह की प्रॉब्लम होने पर उसके समाधान का तरीका और जिम्मेदार लोगों तक आसान पहुंच हर व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए।
क्या भारत के तमाम बड़े शहर पूरी तरह से स्मार्ट सिटी बन सकते हैं या फिर पूरी प्लानिंग के साथ बसाए गए नए शहर ही स्मार्ट सिटी कहलाएंगे?वैसे तो भारत के सभी बड़े और छोटे शहरों को ज्यादा डेवलप और सुविधा संपन्न बनाया जाना चाहिए, लेकिन सालों से बसे हुए किसी भी बड़े शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए उसमें ट्रांसपोर्टेशन से लेकर तमाम सुविधाओं में बदलाव करने के लिए शहर में बहुत सारी तोडफ़ोड़ करनी पड़ेगी और इस प्रक्रिया में लाखों लोग प्रभावित भी होंगे। ऐसे में कहना होगा कि करेंट सिटीज को स्मार्ट सिटी में बदलने के लिए बहुत ज्यादा प्लानिंग की जरूरत पड़ेगी दूसरी ओर बेस्ट चीज यह होगी कि बेहतरीन प्लानिंग के साथ पूरी तरह से नए बसाए गए शहर ही स्मार्ट सिटी की मूलभूत परिभाषा पर खरे उतरेंगे और उसके उद्देश्य को सही ढंग से पूरा कर पाएंगे। एक और बात यह है कि भारत में शहरों से ज्यादा गांवों को विकास की जरूरत है, लेकिन देश का एजुकेशन सिस्टम ऐसा है कि किसी भी नागरिक को बेहतर पढ़ाई और अच्छी जॉब के लिए गांव छोड़कर शहर ही भागना पड़ता है। जबकि होना यह चाहिए कि जो जहां रहता है वहीं पर इतना सुविधा संपन्न हो सके की उपलब्ध संसाधनों से वहीं पर रहकर अच्छी अर्निंग करके बेहतर लाइफ स्टाइल जी सके।
टेक्नोलॉजी विजन 2035 का खाका खींचने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले पद्मविभूषण अनिल काकोदकर भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर के निदेशक रह चुके हैं। वह परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष व भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव भी रहे हैं।