मंडेला स्मृति सभा: इंटरप्रेटर ने कहा पड़ा था पागलपन का दौरा!
इससे पहले बधिर दर्शकों ने थामसांका को देखकर उन्हें एक धोखेबाज बताया था और उन्होंने कहा कि उनके "संकेत बकवास" थे.हालांकि थामसांका ने इस बात से इनकार किया है कि अमरीकी राष्ट्रपति सहित दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों को उनकी मौजूदगी से कोई खतरा था.दक्षिण अफ्रीका के बधिर संघ ने बीबीसी को बताया कि इस व्यक्ति के संकेत "मनमाने" थे और उनका "कोई मतलब नहीं था."गड़बड़ी का एहसासथामसांका ने कहा, "मुझे गड़बड़ी का एहसास उस समय हुआ जब मैंने देखा की आसमान से देवदूत मंच पर आ रहे हैं और मुझे पता चल गया कि मेरी हालत ठीक नहीं है."उन्होंने कहा "जब दौरा पड़ता है तो आप जान नहीं सकते कि क्या होगा." थामसांका ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है और आमतौर पर वह इन हालात में ख़ुद पर नियंत्रण कर लेते हैं.
थामसांका मंच पर मंडेला के दोस्तों और परिजनों की तरह बर्ताव कर रहे थे और इस दौरान दुनिया के प्रमुख नेता पूर्व अफ्रीकी राष्ट्रपति को अपनी श्रद्धांजलि दे रहे थे.
दक्षिण अफ्रीका के बधिर संघ के सांकेतिक भाषा के प्रशिक्षक फ्रांसिस्को डेसल ने कहा कि बधिर समुदाय या दूसरे इंटरप्रेटरों में कोई भी इस व्यक्ति को नहीं जानता है.डेसल ने बीबीसी के न्यूज़डे कार्यक्रम में बताया कि दक्षिण अफ्रीका की संकेत भाषा की संरचना किसी भी दूसरी बोली जाने वाली भाषा से अलग है.विश्व बधिर संघ के ब्राम जार्डन ने बीबीसी को बताया कि यह व्यक्ति अपने अलग संकेत तैयार कर रहा था.उन्होंने बताया कि दक्षिण अफ्रीका में प्रत्येक 10,000 बहरे लोगों पर एक इंटरप्रेटर है, जो सांकेतिक भाषा में अपनी बात कह सकता है.बीबीसी की शोधकर्ता एरिका जोंस ने बताया कि इस व्यक्ति के संकेतों का व्याकरण से कोई मतलब नहीं था और एक ही तरह के संकेतों को बार-बार दोहरा रहा था, जबकि साफ़ था कि वक्ता अपने शब्दों को नहीं दोहरा रहे थे. एरिका जोंस संकेत भाषा की जानकार हैं.