एक अध्ययन में पाया गया है कि फ़ेसबुक पर सकारात्मक अपडेट छूत की बीमारी की तरह खुशियां फैलता है.


एक अध्ययन में पाया गया है कि फ़ेसबुक पर सकारात्मक अपडेट छूत की बीमारी की तरह खुशियां फैलता है.एक अध्ययन के अनुसार, इस लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट पर भावनाएं व्यक्त करना संक्रामक है.अध्ययन में अमरीका में फ़ेसबुक के 10 करोड़ से भी ज़्यादा यूज़र्स के एक अरब से ज्यादा स्टेटस अपडेट का विश्लेषण किया गया.इसमें पाया गया कि सकारात्मक पोस्टों ने सकारात्मक जबकि नकारात्मक पोस्टों ने नकारात्मक पोस्टों में गुणात्मक वृद्धि की.लेकिन सकारात्मक पोस्ट ज्यादा प्रभावी या कहें ज्यादा संक्रामक रहीं.सैन डियागो के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जेम्स फॉवलर ने कहा, ''हमारा अध्ययन बताता है कि लोग अपने जैसे लोगों से न केवल जुड़ते हैं बल्कि वास्तव में वे अपने मित्र की भावनात्मक अभिव्यक्ति को भी प्रभावित करते हैं.''


उन्होंने कहा, ''हमारे पास इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त आंकड़े हैं कि ऑनलाइन भावनात्मक अभिव्यक्तियां तेजी से फैलती हैं और नकारात्मक की बजाए सकारात्मक अभिव्यक्तियां ज्यादा तेजी से फैलती हैं.''प्रभावशोधकर्ताओं ने भावनात्मक सामग्री जांचने के लिए ऑटोमेटड टेक्सट एनॉलिसिस करने वाले एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का सहारा लिया जिसे लिंग्विस्टिक एन्क्वायरी वर्ल्ड काउंट कहते हैं.शोधकर्ताओं ने एक प्रयोग किया.

बारिश का मौसम, जो कि पोस्ट की गति को विश्वनीय रूप से बढ़ा देता है, में नकारात्मक पोस्टों की संख्या 1.16 प्रतिशत बढ़ी और नाकारात्मक पोस्टों 1.19 प्रतिशत घटीं.यह सुनिश्चित करने के लिए बारिश दोस्तों को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करती, उन्होंने विश्लेषण के दायरे को उन दोस्तों तक सीमित कर दिया जो उन शहरों में ते जहां बारिश नहीं हो रही थी.अध्ययन में पता चला कि बारिश वाले शहर में रहने वाले दोस्तों की भावनात्मक अभिव्यक्ति ने बिना बारिश वाले शहरों में रहने वाले उनके दोस्तों की भावनाओं को प्रभावित किया.हर नकारात्मक पोस्ट पर औसतन 1.29 पोस्ट जबकि हर सकारात्मक पोस्ट पर औसतन 1.75 पोस्ट शेयर किए गए.इस अध्ययन को 'प्लोस वन' जर्नल में प्रकाशित किया गया है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh