भारत में महिलाओं को सुरक्षित करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए संविधान और सुप्रीम कोर्ट ने कई अधिकार दिए है। हम सभी जानते हैं कि हमारा संविधान बहुत जटिल है। ये इतना जटिल है कि हम में से बहुतों को हमारे अधिकार नही पता है। हम जब भी अपने मौलिक अधिकारों की बात करते हैं तो सिर्फ फ्रीडम ऑफ स्पीच की बात होती है। पर क्या आप को आप के कानूनी और मौलिक अधिकार पता हैं। हम आप को आज महिलाओं के उन दस मौलिक अधिकारों से रूबरू करवाएंगे जिन से शायद अभी तक आप अनजान हों।
By: Prabha Punj Mishra
Updated Date: Sat, 26 Nov 2016 06:58 PM (IST)
1- हिन्दू मेरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 14 के तहत एक शादीशुदा जोड़ा अपनी शादी के एक साल पूरा होने तक तलाक के लिए अर्जी नही दे सकता है। फिर चाहे वो पुरुष हो या महिला। यदि सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि अर्जी देने वाला अनेको समस्याओं से घिरा है तो वह तलाक फाइल कर सकता है। 3- सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि किसी भी महिला को सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद हिरासत में नही लिया जा सकता है। यदि पुलिस को कोई सबूत के तौर पर कोई लिखित दस्तावेज मिलता है जिसमें कारण पूछा जाए कि आप इस महिला को क्यों हिरासत में लेना चाहते हैं तो यह फैसला बदल सकता है।
5- दंड प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 51 कें तहत एक महिला को सिर्फ एक महिला ऑफीसर ही हिरासत में ले सकती है। महिला ऑफीसर को ही आरोपी महिला की तलाशी लेने और उसकी जांच करने का अधिकार है।
7- होटल एसोशिएशन ऑफ इंडिया जो पूरे भारत में 280 से अधिक होटल संचालित करती है ने घोषणा की है कि भारतीय कानून में ऐसा कोई भी नियम नही हैं जिसमें किसी अविवाहित जोड़ों को होटल में प्रवेश करने से रोका जाए।
9- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2011 में घोषणा की थी कि कोई भी पुरुष जो अकेला रहता है किसी लड़की या बच्ची को गोद नही ले सकता है।
Interesting News inextlive from Interesting News Desk
Posted By: Prabha Punj Mishra