हेदर को पहले पुरुषों का घूरना अजीब लगता था लेकिन अब नहीं


मैं एशियाई मूल की एक ब्रितानी नागरिक हूँ. जब भी मैं भारत में होती हूँ तो ख़ुद को 'अँगरेज़' ज़्यादा महसूस करती हूँ.मैं जब भी छुट्टी मनाने भारत आती हूँ, यहाँ की धक्का-मुक्की, शोर-शराबा और गाड़ियों की आवाज से मुझे परेशानी होती है.लेकिन उन महिलाओं का क्या जो मूल रूप से गोरी हैं या पश्चिमी मुल्कों की हैं और जिन्होंने भारतीय मर्दों से शादी करने के बाद भारत को ही अपना घर बना लिया है? ख़ासतौर पर ये समझने के लिए मैं भारत पहुँची.मेरा पहला पड़ाव पंजाब का मोगा शहर था. मेरे लिहाज़ से यह शहर नहीं है बल्कि एक क़स्बा है जो वक्त के साथ बड़ा हो गया है. यहाँ भी सड़कें ख़राब हैं. भारत के किसी भी अन्य शहर की तरह हम यहाँ भी सड़क पर रिक्शे वालों, साइकिलों और जानवरों से बचते-बचाते मुख्य बाज़ार पहुँचे.हेदर चैथली
हेदर चैथली से मैं पिछले कई महीनों से फ़ोन एवं ईमेल के ज़रिए संपर्क में थी. उन्होंने मुझे बताया था कि वह सिविल अस्पताल के पास ही रहती हैं और हम वहाँ पहुंचकर किसी से भी एक्स-रे वाले डॉक्टर के बारे में पूछ लें.


मैंने ऐसा ही किया और हेदर तक पहुँच गई. हेदर मोगा में 1979 से रह रही हैं. वह जब पहली बार यहाँ आईं थीं तब यह बहुत ही पिछड़ा हुआ इलाक़ा था, यहाँ ज़्यादा कारें नहीं थीं.आज यहाँ कारों की भरमार है जो यहाँ की सकरी सड़कों के लिए बहुत ज़्यादा है.हेदर 1970 के दशक में उत्तरी आयरलैंड के बेलफ़ास्ट स्थित रॉयल विक्टोरिया अस्पताल में नर्स थीं. वहीं उनकी मुलाक़ात ट्रेनिंग कर रहे भारतीय मूल के डॉक्टर रघुराज से हुई.रेडियोलॉजिस्ट की डिग्री लेने के बाद डॉक्टर रघुराज वापस मोगा आ गए. दरअसल कई दौरे पड़ने के बाद उनकी माँ चलने-फिरने से लगभग मजबूर हो गई थीं.भारत पहुँचकर रघुराज ने हेदर को एक पत्र लिखकर बताया कि वे अपने जीवन में उनकी कमी महसूस करते हैं. जबाव में हेदर ने भी लिख दिया कि वे भी उन्हें प्यार करती हैं. दोनों ने फैसला किया कि हेदर को छुट्टियां मनाने भारत आना चाहिए.वो उनकी पहली भारत यात्रा थी.बन गईं बहूहेदर भारत आईं और 10 हफ़्ते छह दिन यहाँ बिताने के बाद ही दोनों की शादी हो गई.

हेदर ने दक्षिणी बेलफास्ट के डाउनपैट्रिक इलाक़े में रहने वाले अपने परिवार, मित्रों और वहाँ के जीवन को पीछे छोड़ दिया. अब वह एक नए देश, नई संस्कृति में ख़ुद को रचाने बसाने की कोशिश कर रही थीं. वह अपने पति के माता-पिता के साथ रह रही थीं.रघुराज के परिवार ने तो उन्हें स्वीकार कर लिया था लेकिन कई रिश्तेदार इस शादी से ज़्यादा ख़ुश नहीं थे.वह कहती हैं, "परिवार के कुछ बुजुर्गों ने मेरे पति से कहा कि तुम परिवार में कैंसर ले आए हो. उन्हें लगता था कि यह गोरी एक दिन राजी (रघुराज) को अपनी माँ से दूर ले जाएगी."हालाँकि हेदर ने पहले अपनी सास की 12 सालों तक सेवा की. उसके बाद उन्हें अपने ससुर की भी देखभाल करनी पड़ी, जिन्हें जीवन के अंतिम वर्षों में अल्ज़ाइमर की बीमारी हो गई थी.हेदर याद करते हुए कहती हैं कि पहले छह साल बहुत मुश्किल थे. वह जब भी आयरलैंड जाकर वापस मोगा आतीं, उन्हें घर की याद बुरी तरह सताती रहती.घूरते थे लोगएक गोरी महिला के लिए मोगा में ज़िंदग़ी बहुत मुश्किल थी. वह आस-पास रहने वाली एकमात्र गोरी महिला थीं. लोग अक्सर उन्हें घूरकर देखते. पहले तो उन्हें यह सब बहुत ख़राब लगता था लेकिन बाद में उन्होंने इसे लोगों की आदत के रूप में स्वीकार कर लिया.
उन्हें न हिंदी आती थी न पंजाबी. शुरू में बातचीत करना ही उनके लिए मुश्किल काम था लेकिन अब हेदर अपने ठेठ आयरिश लहजे में यहाँ की भाषा बोल लेती हैं. बच्चे पैदा होने के बाद उनका जीवन और भी स्थिर हो गया. बच्चों ने ही उन्हें भाषा सीखने में भी मदद की.मोगा में तीन दशक तक रहे रघुराज और हेदर अब रिटायर होने के बाद ब्रिटेन में बसने की तैयारी कर रहे हैं.रघु कहते हैं कि अब उनकी बारी है. उनका बेटा अनुज पहले से ही ब्रिटेन में बसा है. वह भी अपने पिता और दादा की तरह ही चिकित्सक है. उसने भी एक आयरिश नर्स से ही शादी की है. हेदर अब अपने बहू और बेटे के साथ रहकर भारतीय संस्कृति के इस हिस्से को जारी रखना चाहती हैं.नैंसी जॉयस मार्गरेटक्रिस्टीन के मन में भारतीय यौन आक्रामकता का डर है लेकिन फिर भी भारत उनका घर हैक्रिस्टीन पेंबरटन के लिए भी भारत अब हमेशा के लिए घर बन गया है. वह ईसाई हैं और उन्होंने पता कर लिया है कि मरने के बाद उन्हें दफ़नाए जाने के लिए क्या-क्या किया जाना होगा क्योंकि उन्हें मालूम है कि वह अपनी आख़िरी साँसें यहीं लेंगी.वह और उनके पति हिम्मत कलसिया 33 साल तक इस मुल्क में रहे हैं.
1980 के दशक में वह वित्तीय क्षेत्र में काम कर रहीं थी और हिम्मत कलसिया बैंक में थे. किस्मत ने दोनों को मिलाया लेकिन क्रिस्टीन के लिए दिल्ली जैसे शहर में रहना आसान नहीं है.लगता है डरवह कहती हैं कि दिल्ली के लोगों का रवैया आम तौर पर सख़्त है. पिछले साल के दिल्ली सामूहिक बलात्कार कांड के बाद उनका और उनके दोस्तों का दिल्ली और देश के अन्य हिस्से में फैली यौन आक्रामकता को लेकर डर और बढ़ गया है.लेकिन इस सबको दरकिनार कर क्रिस्टीन भारत में अपने जीवन को विशेष मानती हैं. वह कहती हैं कि भारत के लोगों में जो प्यार और दया है वह आपको किसी भी दूसरी जगह नहीं हासिल होगी, ब्रिटेन में भी नहीं.यहाँ लोग असाधारण तौर पर उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं, हो सकता है शायद इसलिए भी कि वे भारत में रह रहीं एक गोरी महिला हैं.

Posted By: Satyendra Kumar Singh