नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के निमंत्रण पर राजनीति
पहली बार भारत के किसी प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है.इस निमंत्रण को नरेंद्र मोदी के पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते सुधारने की एक अहम कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को निमंत्रण भेजने पर कांग्रेस के नेता भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साध रहे हैं. वहीं जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नरेंद्र मोदी के इस क़दम का स्वागत किया था.
श्रीलंका के राष्ट्रपति को आमंत्रित करने से तमिलनाडु की राजनीति में ख़ासा विरोध हो रहा है.समारोह में शामिल होने वाले देशदक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस या सार्क) में शामिल छह देशों ने 16 मई को होने वाले समारोह में शामिल होने की पुष्टि की है.
इस संबंध में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैय्यद अकबरुद्दीन ने कहा कि छह सार्के देशों के नेताओं के आने की पुष्टि की.उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला, भूटान के प्रधानमंत्री शोरिंग तोग्बे और अफ़गानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने समारोह में आने की पुष्टि की है.
उनके ट्वीट के अनुसार श्रीलंका के राष्ट्रपति क्लिक करें महिंद्रा राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन और बांग्लादेश की तरफ़ से संसद की स्पीकर डॉक्टर शिरीन चौधरी ने समारोह में हिस्सा ले रही हैं.विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरूद्दीन ने एक अन्य ट्वीट में बताया कि सार्क देशों के अलावा मारीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम ने भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की पुष्टि की है.
वहीं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयलिलता ने गुरुवार को कहा था, "हमें नई सरकार से उम्मीद थी कि वो तमिल लोगों के प्रति सहानुभूति रखेगी, लेकिन सरकार संभालने के पहले ही राजपक्षे को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किए जाने से तमिलों की भावनाएं आहत हुई हैं. पहले से ही गहरे दुख में जी रहे तमिल मानस के घावों पर यह नमक रगड़ने के समान है. तमिलनाडु के साथ नई सरकार के रिश्तों को देखते हुए इस क़दम से बचा जाता तो अच्छा होता."