'महिलाओं के लिए सबसे ख़राब देश है मिस्र'
वहाँ 2011 में हुए सरकार विरोधी आंदोलनों के बाद फैली हिंसा की वजह से यह स्थिति बनी है.अध्ययन किया थामसन रॉयटर्स फाउंडेशन ने. इसमें पता चला कि यौन उत्पीड़न, महिलाओं के ख़तने की ऊंची दर और इस्लामी समूहों के बढ़ते दख़ल की वजह से 22 अरब देशों के समूह में मिस्र को सबसे नीचे का स्थान मिला.इस सूची में पहला स्थान मिला कोमोरोस द्वीप को, जहाँ मंत्रि परिषद की 20 फ़ीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. यहाँ तक कि तलाक़ के बाद घर और ज़मीन पर भी महिला का ही अधिकार होता है. कोमोरोस के बाद नंबर आता है ओमान, कुवैत और क़तर का.सूची"इस्लामवादियों के बढ़ते प्रभाव और राष्ट्रपति चुनाव में मुस्लिम ब्रदरहुड के मोहम्मद मुर्सी का उदय महिला अधिकारों के लिए एक बड़ा झटका था"-सर्वेक्षण में शामिल विशेषज्ञ
अरब जगत में महिलाओं के लिए सबसे ख़राब देशों की सूची में मिस्र के बाद नंबर आता है इराक़ का. उसके बाद सऊदी अरब, सीरिया और यमन का स्थान है.अध्ययन में अरब लीग के 21 देशों और सीरिया के लैंगिक मामलों के 336 विशेषज्ञों को शामिल किया गया. यह अध्ययन इस साल अगस्त और सितंबर में किया गया.
सीरिया भी अरब लीग का संस्थापक सदस्य है. लेकिन उसे दो साल पहले लीग से निष्कासित कर दिया गया था.सर्वेक्षण में भाग लेने वाले विशेषज्ञों से पूछे गए सवाल संयुक्त राष्ट्र की महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी तरह के भेदभाव को खत्म करने वाली संधि (सीईडीएडब्लू) के प्रावधानों पर आधारित थे. इस संधि पर 19 अरब देशों ने या तो दस्तख़त किए हैं या उसकी पुष्टि की है.महिला अधिकारइसमें जो सवाल शामिल थे उसमें महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा, जनन के अधिकार, परिवार में महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार, समाज में उनके एकीकरण, राजनीति और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका को लेकर नज़रिए पर आधारित थे.
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इस साल जून में मोर्सी विरोधी प्रदर्शनों के बढ़ने के बाद क़ाहिरा के तहरीर चौक पर 91 महिलाओं का सार्वजनिक तौर पर बलात्कार किया गया या उनका उत्पीड़न किया गया.इस सर्वेक्षण में भाग लेने वालों ने जबरदस्ती शादी कराने और खरीद-फरोख्त के बढ़ते मामलों की ओर भी ध्यान दिलाया.