सेना के साथ झड़पों में मुर्सी के कई समर्थकों की मौत हो गई


मिस्र में दो बड़ी हस्तियों ने सेना के साथ झड़पों में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों के मारे जाने की निंदा की है.मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों और सेना के बीच काहिरा में हुई  हिंसक झड़पों में बड़ी संख्या में लोग मारे गए हैं. डॉक्टरों का अनुमान है कि करीब 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई है. हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृतकों की संख्या 65 बताई है.अल अज़हर मस्जिद के बड़े इमाम ने इस घटना की जाँच की मांग की है जबकि अंतरिम सरकार में उप राष्ट्रपति मोहम्मद अल बारादेई ने कहा है कि अत्याधिक बल प्रयोग किया गया है. इन दोनों ने मुर्सी को सत्ता से हटाए जाने का समर्थन किया था.
समीह अल हरिदी को एक अस्पताल में अपने भतीजा का शव मिला. उन्होंने सेना की निंदा करते हुए कहा, "वो तो बच्चा था, 17 साल का, एक छात्र जिसने पूरा कुरान याद किया था. वो अपनी आज़ादी मांगने आया था. वो घायलों को देखने गया था और उसे ही गोली लग गई. मैं सेना अध्यक्ष से कहता हूँ कि इन बच्चों और शहीदों के ख़ून की कसम आपका भला नहीं होगा."ब्रदरहुड का आरोप


मुर्सी समर्थक अभी भी पूर्वी काहिरा की एक मस्जिद के पास चल रहे अपने धरने का जारी रखे हुए हैं.

मुस्लिम ब्रदरहुड ने सेना पर गोलीबारी कर हत्या का आरोप लगाया है. लेकिन मिस्र के आंतरिक मामलों के मंत्री मोहम्मद इब्राहिम ने कहा है कि काहिरा में एक मस्जिद के पास जमा लोगों को हटाने गई सेना ख़ुद ही हमले का शिकार हो गई थी. सरकार के मुताबिक सुरक्षाबलों ने केवल आँसू गैस का इस्तेमाल किया था.उनका कहना था, "हमने आँसू गैस का इस्तेमाल किया और भीड़ को तितर बितर किया. अचानक लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं और उन पर पत्थर भी फेंके."काहिरा में बीबीसी के क्वेन्टिन सॉमरविल का कहना है कि लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिसे देखकर सरकार की बात सच नहीं लगती.मोहम्मद इब्राहिम ने मुर्सी समर्थकों से कहा है कि काहिरा में मस्जिद के पास जमा हुए लोगों को तितर बितर कर दिया जाएगा.मंत्री ने कहा कि मस्जिद के पास रहने वाले लोगों ने मुकदमा किया है जिस वजह से लोगों को उठाने के लिए उनके पास कानूनी वजह है.लेकिन मस्जिद के पास इकट्ठा हुए हज़ारों लोगों का कहना है कि वे वहीं डटे रहेंगे.अमरीका की चिंता
इस बीच अमरीका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने एक बयान में कहा है कि वे मिस्र में ख़ूनखराबे को लेकर काफ़ी चिंतित हैं. उन्होंने कहा, "यह समय मिस्र के लिए निर्णायक है और इस माहौल में ये मिस्र के अधिकारियों की क़ानूनी और नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से इकट्ठा होने के अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी का सम्मान करें."अमरीकी अधिकारियों के अनुसार अमरीकी रक्षा मंत्री चक हेगेल ने मिस्र के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख अल-सीसी को फ़ोन किया और उन्हें इस मामले में अमरीकी रुख से परिचित कराया. अमरीका ने उनसे कहा कि परिवर्तन के इस दौर में सभी का ख़्याल रखा जाना चाहिए.इसके पहले ब्रिटने और यूरोपीय संघ ने भी शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के ख़िलाफ बल प्रदर्शन की निंदा की थी.हिरासतसेना ने मुर्सी को तीन जुलाई को सत्ता से बेदखल कर दिया था. उन पर औपचारिक तौर पर हत्या और चरमपंथी गुट हमास के साथ संबंध का आरोप है. मुर्सी पर आरोप है कि उन्होंने हुस्नी मुबारक को सत्ता से हटाए जाने के दौरान जेल पर हमलों की साज़िश रची.शुक्रवार को आए एक न्यायिक आदेश के बाद मोहम्मद मुर्सी को 15 दिन के लिए हिरासत में भेज दिया गया है.
मोहम्मद मुर्सी से दो मानवाधिकार कार्यकर्ता मिलने गए लेकिन बताया गया है कि मुर्सी ने उनसे मिलने से मना कर दिया और अपने सहयोगी रेफा अल ताहतावी को भेज दिया.शनिवार को आंतरिक मामलों के मंत्री ने कहा कि मुर्सी को तोरा जेल में भेज दिया जाएगा जहाँ मुबारक को भी रखा गया है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh