क्या आप भी डेस्कटॉप या लैपटॉप खोलते ही रिफ्रेश करना शुरू कर देते हैं? लोगों की आदतों में यह शुमार है कि वे माउस को राइट क्लिक कर रिफ्रेश करने लगे हैं। कई लोग तो इसे लगातार करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि रिफ्रेश करने का असर कुछ होता है या नहीं।

ऐसा मानना है कि 10 में से 9 विंडो यूजर्स जमकर रिफ्रेश करते हैं। कहा जाता है कि सभी विंडो यूजर्स के बीच रिफ्रेश कंप्यूटर की शायद सबसे बड़ी पहेली है।

कई बार शायद रिफ्रेश करने की ज़रूरत पड़ती होगी लेकिन ज़्यादातर ऐसे लोग हैं जो जानते भी नहीं कि रिफ्रेश करने से क्या होता है।

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ऐसे रिफ्रेश टूल है ही क्यों?
रिफ्रेश टूल डेस्कटॉप के आइकन को री-डिस्प्ले करने के लिए होता है। कई बार आप डेस्कटॉप के आइकन में बदलाव करते हैं तो वे तत्काल दिखते नहीं हैं। ऐसे में जब रिफ्रेश करते हैं तो सारे आइकन डेस्कटॉप पर दिखने लगते हैं।

अगर आपके डेस्कटॉप पर आइकन हैं तो इसे एल्फाबेटिकली सेट कर सकते हैं। सेट करने के बाद अगर कोई नया आइकन जोड़ते हैं तो वह सबसे नीचे आ जाता है। ऐसे में जब आप रिफ्रेश करते हैं तो नया आइकन भी उस क्रम में सेट हो जाता है। इसके अलावा रिफ्रेश का कोई काम नहीं होता है।

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लोग लगातार रिफ्रेश क्यों करते हैं?
विंडो क्लब का कहना है कि रिफ्रेश करने वाले लोग कंपल्सिव डिसॉर्डर से पीड़ित होते हैं। ऐसे लोग बेवजह चीज़ो की जांच करते रहते हैं। यह आदत केवल आम लोगों में ही नहीं बल्कि कंप्यूटर इंजीनियरो में भी होती है। कई इंजीनियर भी F5 बटन को लेकर मोहग्रस्त होते हैं। विंडो क्लब का कहना है कि यह नासमझी के सिवा कुछ भी नहीं है और इसे आदत को ख़त्म करने की ज़रूरत है।

ऐसे में अगर आप भी रिफ्रेश करने की आदत और मिथ से पीड़ित हैं तो इसे बेफ़िक्र होकर बंद कर दीजिए। इससे आप अपना केवल टाइम ही बर्बाद करते हैं। आप अगर किसी को लगातार रिफ्रेश करते देखें तो उसे बता सकते हैं कि इसका मतलब क्या होता है।

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Posted By: Chandramohan Mishra