बिजनेस आपका हो या अंबानी का, ई-कॉमर्स से ही बनेगा बड़ा
क्या कोई ऐसा फैक्टर है, जिसकी वजह से ऑनलाइन मार्केट को ग्रो करने में सबसे ज्यादा हेल्प मिलेगी?
एक रीसेंट स्टडी में सामने आया है कि इंडियंस रोजाना तीन घंटे से भी ज्यादा का वक्त स्मार्टफोन पर बिताते हैं। ई-कॉमर्स इंडस्ट्री के लिए यह पॉजिटिव साइन है क्योंकि इसके जरिए ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच रही है। साथ ही पिछले साल हमने ऑनलाइन पेमेंट्स में भी देखा कि लोग इसे एक्सेप्ट कर रहे हैं और इसका यूज तेजी से बढ़ रहा है। यह 2017 का मेजर ब्रेकथ्रू था जो कि डेफिनेटली 2018 या उससे आगे आने वाले सालों ई-कॉमर्स इंडस्ट्री को सिर्फ ग्रो करने में ही हेल्प करेगा। इस प्लैटफॉर्म पर अभी किस तरह के चैलेंजेस हैं जिन्हें सॉल्व करना बाकी है?अब तक की बात करें तो बी2बी ई-कॉमर्स स्टार्ट-अप्स ने टोटल 196।5 मिलियन डॉलर का बिजनेस किया है जो कि अब तक का हाइएस्ट है। ये बहुत एनकरेजिंग है क्योंकि कई इंटरेस्टिंग बिजनेस मॉडल्स में मनी फ्लो हो रहा है। अभी तक इस सेगमेंट में सप्लाइज, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंसिंग को लेकर कई तरह की प्रॉब्लम्स थीं, पर मुझे लगता है कि जिस तरह से फाइनेंस फ्लो कर रहा है, 2018 में हम एंटरप्राइज टेक्नोलॉजी और फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी दोनों ही सेक्शंस में ग्रो करेंगे। फ्यूचर में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस ज्यादा मेनस्ट्रीम होगा और कंज्यूमर टेक्नोलॉजी इंप्रूव होगी। इंडियन बिजनेस और कंज्यूमर्स के लिहाज से 2018 डिजिटल चेंज का साल होने वाला है।
मेरा मानना है कि हम सभी 20 परसेंट लक के साथ जन्म लेते हैं। हो सकता है कि अगर आप किसी काम को एक बार ट्राई करें तो उसमें सक्सेसफुल न हों लेकिन जब आप उस काम को पांच बार ट्राई करते हैं तो आपके क्सेसफुल होने के चांसेज 100 हो जाते हैं। इंडियामार्ट के साथ भी हमने फॉर्मूला अपनाया। कई बार कोशिश की और अलग-अलग तरह से की और उसका नतीजा है कि हम यहां हैं। साथ ही कस्टमर्स की जरूरतें, उनके एक्सपीरियंस और उनके सजेशंस को मानना भी हमेशा काम आता है।
ऐपल वाले पुराना iphone स्लो कर देते हैं, ताकि लोग नया फोन खरीदें? इससे नाराज लोगों ने कंपनी पर ठोके 8 मुकदमे दिनेश अग्रवाल,फाउंडर एंड सीईओ, इंडियामार्ट, बी2बी कंपनी बिजनेस फैमिली में जन्में दिनेश अग्रवाल ने एचबीटीआई, कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की। यूएस में सीडीओटी ज्वॉइन करने से पहले उन्होंने एचसीएल टेक्नोलॉजीस के साथ काम किया और 1996 में उन्होंने इंपोर्ट-एक्सपोर्ट सर्विसिंग कंपनी इंडियामार्ट की स्थापना की।