नकारात्मक प्रवृतियों का अंत है विजय दशमी: श्री श्री रविशंकर
हम सभी राम, सीता और रावण की कहानियां सुनकर बड़े हुए हैं। इसलिए इस बात को भी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि राम, लक्ष्मण और सीता जी को निर्वासित कर दिया गया। तीनों चौदह वर्षों के लिए वन की ओर चल पड़े और फिर वन में एक दिन रावण ने सीता का अपहरण कर लिया। इसके पश्चात राम की अपनी पत्नी की खोज में एक लम्बी साहसिक यात्रा आरंभ हुई। राम का रावण के साथ भीषण युद्ध हुआ और राम को आखिर में विजय मिली। विजय के इसी अवसर पर इस दिन हम दशहरा का उत्सव मनाते हैं। रामायण गहन आध्यात्मिक अर्थ से ओतप्रोत है और यह हमारे स्वयं के जीवन को गहराई से देखने में मदद करती है। रामायण की प्रत्येक घटना, इसका हर एक अध्याय और हर एक क्रम हम सबके दैनिक जीवन से जुड़ा हुआ है। हम शताब्दियों से देशभर में इस उत्सव को मनाते आए हैं, जिससे चारों ओर आनंद का वातावरण छा जाता है। रोशनी से रामलील के कई पंडाल सजते हैं और लोग पूरे जोश के साथ जय श्रीराम का उद्घोष करते हैं। एक-दूसरे को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएं देते हैं।
हर नाम का अर्थ जानना है जरूरी
सबसे पहले बात करते हैं राम के अर्थ की। भगवान राम के नाम में रा का अर्थ है, प्रकाश और म का अर्थ है, मैं। कुल मिलाकर राम का अर्थ है, मेरे भीतर का प्रकाश। दशरथ और कौशल्या के घर में राम का जन्म हुआ था। अब चर्चा करें, दशरथ के नाम की। दशरथ का अर्थ है, वह जिसके पास दस रथ हैं। ये दस रथ पांच संवेदी अंगों और पांच कर्मेंद्रियों का प्रतीक है। फिर चर्चा आती है कौशल्या की। माता कौशल्या कुशलता का प्रतीक हैं। सुमित्रा वह हैं, जो सबके साथ अपनापन रखती हैं। कैकेई का अर्थ है, प्रत्येक व्यक्ति को कुछ न कुछ देने वालीं। दशरथ अपनी तीनों पत्नियों के साथ ऋषियों के पास गए और उनके आशीर्वाद मांगा। उनके आशिर्वाद से भगवान राम का जन्म हुआ और उनके जन्म के साथ चारों ओर खुशियां ही खुशियां फैल गईं। प्रसन्नता छा गई।
मन को नियंत्रित करने वाले हैं हनुमान
राम का अर्थ है, आत्मा, हमारे भीतर का प्रकाश। लक्ष्मण का अर्थ है, सजगता। लक्ष्मण वह हैं, जो सजग हैं। शत्रुघ्न वह हैं, जिसका कोई शत्रु नहीं है और भरत का अर्थ है, बुद्धिमान एवम् प्रतिभाशाली। अयोध्या का अर्थ है, जिस पर विजय प्राप्त नहीं की जा सकती है या जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता है। जो प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है और जिससे करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं। हमारे शरीर मन तंत्र को अयोध्या मान सकते हैं। राजा दशरथ के बारे में बात करें तो वे पांच संवेदी अंग और पांच कर्मेंद्रियां हैं। जब सीता, जो मन का प्रतीक हैं, राम से अलग हो गईं, जो आत्मा का प्रतीक हैं, तब रावण, जो अहंकार का प्रतीक है, ने सीता का अपहरण कर लिया। उस वक्त राम और लक्ष्मण (आत्मा और सजगता) ने हनुमान की सहायता ली। हनुमान वे हैं, जो जीवन ऊर्जा या श्वांस का प्रतीक हैं। सब मिलकर सीता (मन) को वापस घर लेकर आए और आखिर में मन व आत्मा में स्थिरता आ गई।
संवेदनशीलता खोने से समाज पर पड़ता है दुष्प्रभाव
अब पूरे रामायण में रावण की चर्चा न करें, तो पूरी कथा ही अधूरी है। रावण अहंकार का प्रतीक है। रावण के दस मुख होने का मतलब है कि अहंकार का केवल एक चेहरा नहीं होता है, बल्कि दस चेहरे होते हैं। (यहां अहंकार के पहलुओं या कारणों के बारे में बताया गया है) ये भी बताया गया है वह व्यक्ति, जो अहंकारी है, स्वयं को दूसरों से अच्छा या स्वयं को दूसरों से अलग मानता है। इससे व्यक्ति असंवेदनशील और कठोर हो जाता है। जब एक व्यक्ति संवेदनशीलता को खो देता है, तब सम्पूर्ण समाज इसके दुष्प्रभावों से पीडि़त हो जाता है। भगवान राम आत्मज्ञान का प्रतीक हैं, वह आत्मा का प्रतीक हैं। जब एक व्यक्ति में आत्मज्ञान (भगवान राम) का उदय होता है, तब भीतर का रावण (अर्थात अहंकार और सभी नकारात्मकताएं ) पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती हैं।
रावण को केवल आत्मज्ञान के द्वारा ही नष्ट किया जा सकता है। इसका अर्थ यह है कि केवल आत्मज्ञान के द्वारा ही सभी प्रकार की नकारात्मकताओं और मन के विरूपण पर विजय प्राप्त की जा सकती है। आत्मज्ञान को कैसे प्राप्त करें? कोई व्यक्ति विश्राम के द्वारा अपने भीतर आत्मज्ञान को जगा सकता है। विश्राम गहरा विश्राम और मन को शांत करना है। हमारे भीतर हर समय रामायण घटित हो रही है। विजय दशमी का अर्थ है, वह दिन, जब सभी नकारात्मक प्रवृत्तियां (जिनका प्रतीक रावण है) समाप्त हो जाती हैं। यह दिन, मन में उठे सभी प्रकार के राग और द्वेषों पर विजय प्राप्त करने का प्रतीक है।श्री श्री रविशंकर