मोटी और डायबटिक गर्भवती महिलाओं के बच्चों में चार गुना होता है ऑटिज्म का खतरा
कई महिलाओं पर शोध के बाद सामने आया नतीजा
मोटापे और मधुमेह से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं के बच्चों के ‘ऑटिज्म’के साथ जन्म लेने का खतरा चार गुना अधिक रहता है। ये बात अनुसंधानकर्ताओं ने 1998 से 2014 के बीच मां और बच्चे की 2700 से अधिक जोड़ियों का अध्ययन करके पता लगायी है कि गर्भावस्था के दौरान मोटापा और मधुमेह दोनों से ग्रस्त होने वाली मां जिन बच्चों को जन्म देती है, उनमें ऑटिज्म का खतरा स्वस्थ मां से पैदा हुए बच्चों की तुलना में चार गुना अधिक होता है। वहीं गर्भवती महिला को इनमें से कोई एक समस्या, मोटापा अथवा मधुमेह होने पर बच्चों में ऑटिज्म का खतरा दोगुना होता है।
क्या है ऑटिज्म
ऑटिज्म एक ऐसा रोग है, जिसमें रोगी बचपन से ही परिवार, समाज तथा बाहरी माहौल से जुड़ने की क्षमताओं को गंवा देता है। यह एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जो बातचीत और दूसरे लोगों से व्यवहार करने की क्षमता को सीमित कर देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पैक्ट्रम डिसॉर्डर कहा जाता है, क्योंकि प्रत्येक बच्चे में इसके अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ बच्चे बहुत जीनियस होते हैं या उनका आईक्यू सामान्य बच्चों की तरह होता है, लेकिन उन्हें बोलने और सामाजिक व्यवहार में दिक्कत होती है। कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सीखने-समझने में परेशानी होती है और वे बार-बार एक ही तरह का व्यवहार करते हैं।
बाल्टीमोर में जान्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डा. शियाओबिन वांग ने ‘पेडियाट्रिक्स’ जनरल में प्रकाशित अपने लेख में कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि गर्भावस्था के दौरान मोटापा और मधुमेह से भ्रूण के विकास और उनके मेटाबोलिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। उन्होंने कहा इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि गर्भवती महिलाओं में मोटापा और मधुमेह जन्म लेने वाले बच्चे के तंत्रिका तंत्र के विकास पर भी प्रभाव डालता है। अध्ययन से हालांकि यह साबित नहीं होता है कि मां का मोटापा और मधुमेह बच्चे में ऑटिज्म की बीमारी का कारण बन सकता है। डा. वांग का कहना है कि इसे साबित करने के लिए अभी और अध्ययन की जरूरत है।inextlive from Health Desk