यहां मोहर्रम पर होता है सोने-चांदी से लेकर गेहूं के अनोखे ताजिया का दीदार!
गोरखपुर के इमामबाड़े में देश की इकलौती सोने और चांदी की ताजिया मौजूद हैं, वहीं दूसरी ओर बाबा रोशन अली की बनवाई लकड़ी की ताजिया भी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मोहर्रम के दौरान सिर्फ चार पांच रोज के लिए ही लोग सोने और चांदी की बनी इन ताजिया का दीदार कर पाते हैं। यहां भारी संख्या में लोग अपनी मन्नतें मांगने के लिए जुटते हैं।
गेहूं की इकोफ्रेंडली ताजिया
शहर में एक ऐसी भी ताजिया है जो इको फ्रेंडली है। इसे लोग गेहूं की ताजिया के नाम से जानते हैं, जो अपने आप में बहुत खास और लाजवाब है। साहबगंज में मौजूद यह ताजिया उम्दा कारीगरी और विज्ञान का शानदार नमूना है। आठ फीट ऊंची गेहूं की बालियों से सजी इस ताजिया को बनाने में करीब 25 किलो गेहूं के उत्तम किस्म के दानों का इस्तेमाल होता है। इस ताजिया को देखकर ऐसा लगता है कि मानों गेहूं की हरी भरी फसल इस पर लहलहा रही है। इसकी सूरत हर दो घंटों में बदलती रहती है। इसे चौथी मोहर्रम से बनाया जाता है और 9वीं मोहर्रम पर इसकी जियारत होती है।
Report: Syed Saim Rauf from Gorakhpur
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