भागलपुर के बुनकरों को 'मोदी से परहेज़ नहीं'
शायद इसीलिए भागलपुर के मुसलमान बुनकरों में, सालों से सेक्युलरिज़्म राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों से मोहभंग की स्थिति दिख रही है।बुनकरों का कहना है कि किसी भी राजनीतिक दल ने मुसलमानों की शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्थिति के बारे में कभी ना तो कुछ किया है और ना ही कुछ करना ही चाहते हैं।उन्हें लगता है कि उनके समाज की उपेक्षा और राजनीतिक फायदे के लिए उनका इस्तेमाल करने वाले ख़ास तौर पर वो राजनीतिक दल हैं जिन्होंने बिहार में हमेशा अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, दलितों और महादलितों की राजनीति की है।इस बार भागलपुर के बुनकरों का बिलकुल अलग ही मिज़ाज है। आज वो राजनीतिक दलों से सवाल पूछ रहे हैं।100 करोड़ का पैकेज
वो कहते हैं, "अब जो मायने रखता है हमारे लिए वो है हमारा अस्तित्व. हमारे हुनर का अस्तित्व. हमारे उद्योग का अस्तित्व। अब नरेंद्र मोदी ने मुद्रा बैंक की घोषणा की है। देखते हैं यह सबकुछ ज़मीनी स्तर पर कितना लागू हो पाता है मगर हम स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद इस लिए भी है क्योंकि नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं।"वहीं असलम अंसारी भी बुनकर संघर्ष समिति के सदस्य हैं जिन्हें लगता है कि अब उनके समाज के नौजवान राजनीतिक दलों के 'सेक्युलरिज्म' के झांसे में आने वाले नहीं हैं बल्कि अब वो अपने दिमाग़ का इस्तेमाल कर ही वोट डालेंगे।'मोदी से परहेज़ नहीं'