आज हम 2014 में जी रहे हैं आज हमारे सामने पानी का भंडार है इसलिये इसका बेतहाशा दुरुपयोग किये चले जा रहें हैं. लेकिन जरा इस खबर पर ध्‍यान दीजिये. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2040 तक दुनिया में पेयजल का गंभीर संकट पैदा होने वाला है.


पूरी दुनिया होगी प्यासीधरती पर मौजूद पीने लायक एक प्रतिशत पानी का बड़ा हिस्सा भी पूरी तरह पीने के काम नहीं आ रहा. इसका बड़ा हिस्सा कारखानों की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में खर्च हो जाता है. यह स्थिति अब और भयावह होने वाली है. जिस तरह आज हम अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं, अगर इसी तरह करते रहें तो वर्ष 2040 तक दुनिया में पीने के पानी की भारी कमी हो जाएगी. यह निष्कर्ष एक नयी स्टडी से निकाला गया है.4 देशों ने की स्टडी
स्टडी में शामिल चार देशों अमेरिका, फ्रांस, चीन और भारत में पाया गया कि बिजली के स्रोत पानी को खर्च करने का सबसे बड़ा माध्यम हैं. इन स्रोतों को ठंडा रखने के लिए पानी की जरूरत होती है. डेनमार्क की आर्हस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बेंजामिन सोवाकूल के मुताबिक हमारे पास अब पानी बर्बाद करने के लिए समय नहीं है. उनका मानना है कि यह पीने के  पानी और ऊर्जा की जरूरतों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी के बीच की लड़ाई है.2020 से दिखेगा असर


अध्ययन में एक रोचक बात यह पाई गई कि ज्यादातर ऊर्जा केंद्र यह नोट ही नहीं करते कि उनके यहां पानी की कितनी खपत हो रही है. सोवाकूल कहते हैं कि यह बहुत बड़ी समस्या है कि ऊर्जा क्षेत्र को यह महसूस ही नहीं हो रहा है कि वह कितना पानी बर्बाद कर रहा है. उनके मुताबिक, हमारे पास पानी का अनंत भंडार नहीं है. अध्ययन में बताया गया हे कि दुनिया के तीस से चालीस फीसदी हिस्सों में तो 2020 के बाद ही पानी की कमी नजर आने लगेगी. सोवाकूल के मुताबिक हमें जल्दी ही यह तय करना होगा कि हम पानी का उपयोग पीने के लिए करेंगे या ऊर्जा स्रोतों को ठंडा करने के लिए. हमारे पास इतना पानी नहीं है कि हम दोनों काम एक साथ कर सकें.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari