ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाक को दिया कश्मीर पर मध्यस्थता का ऑफर, कहा अगर दोनों देश चाहें तो यह संभव
वाशिंगटन (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान की मदद करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने एक बार फिर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता का ऑफर दे दिया है। सोमवार को व्हाइट हाउस में मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, 'आप जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर विवाद चल रहा है। मुझे लगता है कि दो हफ्ते पहले की तुलना में दोनों देशों के बीच तनाव थोड़ा कम हुआ है। अगर वे चाहें तो मैं दोनों की मदद करने को तैयार हूं। यह बात वे भी जानते हैं।' बता दें कि ट्रंप का यह बयान पिछले महीने जी-7 बैठक के दौरान पीएम मोदी से मुलाकात के बाद आया है। इस बैठक के दौरान, दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए थे कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का एक द्विपक्षीय मामला है जिसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है।सबसे पहले जुलाई में दिया था मध्यस्थता का ऑफर
बता दें कि जुलाई में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अमेरिका गए थे। उस वक्त इमरान के साथ मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कश्मीर के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी। भारत ने तुरंत इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। भारत ने साफ शब्दों कहा था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का एक द्विपक्षीय मुद्दा है।ट्रंप ने रखी अमेरिकी अंतरिक्ष बल की नींव, कहा अब स्पेस होगा अगला युद्ध क्षेत्रपाक को करना चाहिए सच स्वीकारगौरतलब है कि 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प व जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन व जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया था। राज्यसभा में अनुच्छेद 370 संबंधी प्रस्ताव स्वीकार और जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पास हो गया था। इसके बाद दूसरे दिन यह लोकसभा में पेश हुआ और शाम को यहां से भी हरी झंडी मिली गई। प्रस्ताव पास होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बन गया। वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। भारत सरकार के इसी फैसले के बाद भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत हर जगह यही कह रहा है कि यह एक आंतरिक मामला है और पाकिस्तान को इस सच्चाई को स्वीकार कर लेना चाहिए।