डोकलाम में समझौतों का इतिहास 100 साल से भी है पुराना
1890 में हुई संधि :
साल 1890 में ब्रिटेन और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों और चुम्बी घाटी की सीमा हदबंदी को लेकर एंग्लो चीनी संधि हुई थी। जिसको चीन और भूटान ने 1988 और 1998 में हुए भूमि बिल समझौते के माध्यम से यथास्िथति रखते हुए डोकलाम क्षेत्र में शांति बहाली पर अपनी सहमति जताई थी। आपको बता देंकि 1959 तक चीन ने डोकलाम पर कोई भी दावा पेश नहीं किया था। लेकिन बाद में वह भूटान पर दबाव बनाकर इस जगह को कब्जाने की चाल चलने लगा। जिसमें की भारत हमेशा रोड़ा बना रहा।
1949 में हुई संधि :
चीन के डोकलाम पर कब्जे को लेकर भारत हमेशा रोड़ा लगाता रहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी। आजादी के तुरंत बाद दोनों देशों के बीच आठ अगस्त 1949 में दार्जीलिंग में संधि हुई थी। इसके मुताबिक रक्षा और विदेश मामलों में भूटान भारत पर आश्रित था। यानी कि भूटान की सीमा पर किसी भी विदेशी की नजर गड़ती है, तो भारत उसका मुंहतोड़ जवाब देगा। इसलिए डोकलाम विवाद को लेकर भारत को भूटान का समर्थन करना पड़ा।
2007 में हुई संधि :
1949 के बाद साल 2007 में भारत और भूटान के बीच एक और संधि हुई। जिसमें कि भूटान और भारत के बीच घनिष्ठ दोस्ती और सहयोग के संबंधों को ध्यान में रखते हुए, भूटान की साम्राज्य की सरकार और भारत गणराज्य की सरकार निकट सहयोग करेगी अपने राष्ट्रीय हितों से संबंधित मुद्दों पर एक दूसरे के साथ है।
क्या है डोकलाम विवाद
डोकलाम एक पठार है जो दोनों भूटान और चीन अपने क्षेत्र मानते हैं। डोकलाम भूटान के हा घाटी, भारत के पूर्व सिक्किम जिला, और चीन के यदोंग काउंटी के बीच में है। इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। डोकलाम विवाद का मुख्य कारण उसकी अवस्थिति है। यह एक ट्राई-जंक्शन है, जहाँ भारत, चीन और भूटान कि सीमा मिलती है। वैसे तो भारत का इस क्षेत्र पर कोई दावा नहीं है। दरअसल इस क्षेत्र को लेकर चीन भूटान के बीच में विवाद है। वर्तमान में यहाँ चीन का कब्जा है और भूटान उस पर दावा करता है।