APJ Abdul Kalam Birth Anniversary : अखबार बांटने से लेकर मिसाइल बनाने तक, जानें पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम से जुड़ी खास बातें
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। देश के पूर्व राष्ट्रपति महान वैज्ञानिक डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की आज जंयती मनाई जा रही है। एपीजे अब्दुल कलाम एक एयरोस्पेस साइंटिस्ट थे और उन्होंने मई 1998 के पोखरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत में परमाणु ऊर्जा में उनकी भागीदारी ने उन्हें 'मिसाइल मैन ऑफ इंडिया' का खिताब दिलाया। उनके योगदान के कारण, भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। वह एक इंजीनियर, वैज्ञानिक, लेखक, प्रोफेसर के अलवा राजनीतिज्ञ भी थे।भारत के 11वें राष्ट्रपति थे डाॅक्टर कलाम
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति थे। वह भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। वह 2002 में लक्ष्मी सहगल के खिलाफ चुने गए थे। शुरुआती जीवन काफी संघर्ष भरा रहा
डाॅक्टर अब्दुल कलाम का शुरुआती जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। उन्होंने कम उम्र से ही परिवार की मदद के लिए काम करना शुरू कर दिया था। वह स्कूल के बाद अखबार बेचने का काम करते थे। वहीं वह स्कूल में पढ़ने में एवरेज स्टूडेंट थे। उनमें चीजों को सीखने की इच्छा काफी तेज थी। इसी वजह से आज भी उन्हें तेज और मेहनती छात्र के रूप में भी जाना जाता है। एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम कियाडाॅ कलाम को 1997 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न सहित अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उन्होंने भौतिकी और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग का अध्ययन किया था। राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के साथ एक एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम किया।भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाने गएदेश के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल विकास में डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें भारत के मिसाइल मैन के रूप में भी जाना जाता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल ने 27 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलॉन्ग में व्याख्यान देते हुए अंतिम सांस ली थी। कार्डियक अरेस्ट के कारण उनका निधन हो गया था।