आपने अक्‍सर लोगों को हवा में उछल एक दूसरे की हथेली पर हथेली मारते हुए खुशी जाहिर करते देखा होगा। बोलचाल की भाषा में इस जेस्‍चर को हाई फाइव कहते हैं। अब अगर आप सोचते हैं कि खुशी जाहिर करने का ये अंदाज प्राचीन काल से हमारे बीच रहा है तो आप बिलकुल गलत है। इस अंदाज को प्रचलन में आये अभी आधी सदी यानी पचास साल भी नहीं हुए हैं। ये पक्‍का तो नहीं कहा जा जा सकता कि ये कहां से आया पर फिर भी कुछ कहानियां हैं जो हाई फाइव के जन्‍म के बारे में बताती हैं। चलिए सुनाते हैं आपको हाई फाइव के जन्‍म की ये कहानियां।

करीब 40 साल ही पुराना है हाई फाइव
हाथ मिलाने या आपस में गिलास टकरा कर चियर्स बोलने की तरह हाई फाइव भी खुशी साझा करने और एक दूसरे को बधाई देने का एक अंदाज है। जो बाकी तरीकों की तुलना में अपेक्षाकृत नया जेस्चर है। हाई फाइव को चलन में आये लगभग चालीस साल ही हुए हैं। यकीन मानिए 1981 से पहले ये फ्रेज ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में शामिल नहीं था। इसके साथ ही कोई पूरी तरह से ये नहीं बता सकता कि आखिर हाई फाइव आया कहां से, वैसे ज्यादातर लोगों का मानना है कि ये खोलों से शुरू हो कर आम जनजीवन का हिस्सा बना। इस बारे मेंकई कहानिया भी मशहूर हैं। इनमे से खेलों में हाई फाइव के ओरिजन से जुड़ी दो कहानियां सबसे ज्यादा विश्वसनीय मानी जाती हैं।
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हाई फाइव के जन्म की कहानी   
हाई फाइव कैसे शुरू हुआ इसकी दो कहानियां हैं। एक है लॉस एंजिलस डोजर्स के खिलाड़ी ग्लेन बर्क से जुड़ी और दूसरी डेरेक स्मिथ की कहानी जो लुइसविल कार्डिनल्स के लिए खेलते थे। ये दोनों ही बॉस्केट बॉल खिलाड़ी थे। कहते हैं कि 2 अक्टूबर 1977 में डोजर्स के खिलाड़ी डस्टी बेकर किसी कामयाबी से खुश हो कर अपने साथी बर्क की ओर दौड़ कर गए और दोनों ने हवा में उझल कर अपनी हथेलियों को ऊंचा उठा कर एक दूसरे हाथ पर मारा और ताली बजायी। इसे ही पहली बार सामने आया हाई फाइव माना गया जो बाद में ट्रेंड बन गया। दूसरी कहानी भी कुछ इसी तरह है जब 1978-79 में बास्केटबॉल मैच के दौरान कार्डिनल्स के खिलाड़ियों विले ब्राउन और स्मिथ ने पहले चलन में रहे लो फाइव की जगह एक दूसरे को हवा में ऊंचा हाथ करके हाई फाइव करने के लिए कहा और इस तरह ये चलन में आया।
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एक और भी है दास्तान
अब जाहिर है कि इस बात का कोई प्रमाण तो है नहीं कि ऊपर वाली दोनों कहानियां एकदम सच्ची हैं। तो चलिए हम एक और दास्तान बताते हैं जो हाई फाइव के जन्म से जुड़ी है।  नेशनल हाई फाइव डे के को फाउंडर कॉनर लास्टोवका के अनुसार मुरे स्टेट बॉस्केट बॉल टीम के खिलाड़ी लैमोंट स्लीट वास्तव में हाई फाइव के जनक हैं। स्लीट ने वियतनामी सेना की 5थ इंफेंटरी में काम करने वाले अपने पिता को सम्मान देने के लिए हाई फाइव को इवेंट किया। ऐसे में अब हम कह सकते हैं कि चाहे कोई भी इस अंदाज का अविष्कारक हो पर ये खुशी जाहिर करने का सबसे जोश भरा लेटेस्ट स्टाइल है और आपको पूरा हक है कि आप इसका मजा लें।
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Posted By: Molly Seth