जानें दही-हांडी के आयोजन के पीछे का राज
कैसे खेलते हैं दही हांडी
जन्माष्टमी के अवसर पर आयोजित की जाने वाली एक पारंपरिक खेल प्रतियोगिता है दही हांडी। इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले युवकों को गोविंदा कहते हैं। वैसे कुछ स्थानों पर अब लड़कियां भी गोविंदा बनने लगी हैं। इस खेल में किसी ऊंचे स्थान पर रस्सी के सहारे दही से भरी एक हांडी टांग दी जाती है। गोविंदाओं को मानव पिरामिड बना कर हांडी तक पहुंच कर उसे तोड़ना होता है। दूसरी ओर खेल देखने के लिए मौजूद लोगों में से कुछ लोग पानी फेंक कर गोविंदाओं के मटकी तक पहुंचने के प्रयास में बाधा डालने का प्रयास करते हैं।
क्या है दही हांडी के खेल के पीछे का तर्क
कहा जाता है कि दही हांडी मनाने के पीछे कृष्ण के माखन और दही चुराने की लीला को याद करने और उसे अनुभव करने की भावना काम करती है। इसमें गोविंदा माखन और दही चुराने वाले बाल कृष्ण के प्रतीक होते हैं और उन्हें रोकने के प्रयास में पानी फेंकने वाले लोग ब्रज की गोपियों का प्रतीक हैं। साथ ही उसमें महाभारत में कृष्ण का उपदेश भी निहित होता है कि निरंतर कर्म करना मनुष्य का कर्तव्य है उसी से फल की प्राप्ति होती है।
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