हाल ही में कुछ खास घटनायें सामने आयीं हैं जिनसे कुछ सवाल हमारे मन में उठते हैं। हालाकि ना ऐसी घटनाये नयी हैं ना ही ये सवाल। कुछ खबरों में बताया गया कि सड़क हादसों में फंसे लोगों ने घटना स्थाल पर तड़पते हुए दम तोड़ दिया और उनकी मदद को लोग आगे नहीं असाये। कई बार तो लोगों ने दुर्घटना की तस्वीरें खींचीं और वीडियो बनाये इसके बाद आगे बढ़ गए। मदद करना तो दूर उन्होंने पुलिस या चिकित्सा सेवा को फोन करके सूचना देने की जहमत भी नहीं उठायी। ये घटनायें भारत की हैं। सवाल ये है कि ऐसा क्यों वो भी तब जब सुप्रीम कोर्ट ने रूलिंग दी है कि ऐसे मामलों में सूचना देने वाले को परेशान नहीं किया जायेगा। आइये जाने क्या हैं देश विदेशों में इससे संबंध कानून और भारत की स्थिति।
By: Molly Seth
Updated Date: Fri, 03 Feb 2017 04:03 PM (IST)
कनाडा: क्या आप जानते हैं कि कनाडा में जरूरत पर मदद ना करना कानूनन अपराध है। ऐसा संभव नहीं है कि कोई मुसीबत में फंसे शख्स की तस्वीर खींच कर आगे नहीं बढ़ सकता। क्यूबक कानून के अनुसार अगर आपके सामने कोई दुर्घटना हुई तो उसे चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराना और पुलिस को खबर करना अनिवार्य है।
कहीं देखी है यह मुजरिम गाय! बेंगलुरू पुलिस को शिद्दत से है इसकी तलाश, जुर्म तो पूछिए मतडेनमार्क: डेनिश पेनल कोड के अनुसार भी यदि आपके सामने कोई जीवन के खतरे या किसी एक्सीडेंट से जूझ रहा है तो उसकी मदद करना हर नागरिक के लिए अनिवार्य है।
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फ्रांस: फ्रेंच कानून को आप यकीनन सबसे अच्छा बचाव कानून कह सकते हैं, जिसमें हादसे के शिकार लोगों की मदद के लिए चिकित्सा सुविधाओं को खबर करना अनिवार्य रूप से शामिल है। अगर कोई फ्रेंच नागरिक किसी मरणासन व्यक्ति की मदद करने में असफल रहता है तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता है।
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भारत: ऐसे में बावजूद इसके कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि दुर्घटना के शिकार हुए लोगों के बारे में जानकारी देने वाले को परेशान नहीं किया जायेगा, अभी भी भारत में लोग ऐसे मामलों में हाथ डालते से कतराते हैं और घटना को देख कर भी अनदेखा करना बेहतर समझते हैं। इसी वजह से अब ये सवाल उठने लगे कि क्या भारत में ड्यूटी टू हेल्प को अनिवार्य बनाने के लिए किसी स्पष्ट कानून को बनाना आवश्यक है। ताकि लोग असंवेदनशीलता से लोगों की मदद करने से कतराने से बचें। Interesting News
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Posted By: Molly Seth