बेकार स्कूटर के कलपुर्जों पर निखरी जिमनास्टिक की ये कलाबाजियां
फ्लैट फुट वाली अनोखी जिमनास्ट
जब दीपा के पिता जिमनास्टिक सिखाने के लिए उसे लेकर कोच के पास पहुंचे तो उन्हें उसमें एक्स्ट्रा टैलेंट नहीं नजर आया। सिवाय इसके कि वह ट्रेनिंग के लिए कड़ी मेहनत करने को तैयार थी। अभी उसे लेकर कोच संशय से पूरी तरह बाहर भी नहीं निकले कि उनकी अकादमी में डॉक्टर का आना हुआ। जिसने दीपा का फ्लैट फुट देखकर कहा कि जिमनास्टिक उसके लिए मुश्किल होगी। फ्लैट फुट वाले जिमनास्ट सामान्य अप्रेटस जंप करने में कठिनाई महसूस करते हैं। बहरहाल दीपा के कांफिडेंस पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने प्रैक्टिस करना जारी रखा। बेकार पड़े स्कूटर के कलपुर्जों की मदद से बने उपकरणों पर उसने अपनी प्रतिभा को निखारना जारी रखा।
कॉमनवेल्थ में छाया जलवा
चौदह बरस की उमर में जलपाईगुड़ी में जूनियर नेशनल जीतने के बाद लोगों की उस पर नजर पड़ी। केरल में नेशनल गेम्स में उसने पांच गोल्ड मेडल जीते। कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने वाली वह अकेली भारतीय महिला जिमनास्ट बनी। कॉमनवेल्थ गेम्स, ग्लासगो व एशियन चैंपियनशिप हिरोशिमा दोनों में उसने ब्रांज मेडल जीते। कामयाबी दीपा के कदम चूम रही थी।
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मुश्किल कलाबाजी में महारत
वक्त के साथ दीपा ने बेहद खतरनाक व मुश्किल प्रोडूनोवा वॉल्ट में महारत हासिल की है। दुनिया में सिर्फ पांच महिला जिमनास्ट ही यह महारत रखते हैं। वॉल्ट जिसमें एक चूक से न सिर्फ स्पाइनल इंजरी के चलते करियर खत्म हो सकता बल्कि मौत भी हो सकती है। बीते दिनों त्रिपुरा की राजधानी अगरतला को नई दिल्ली से जोड़ने वाली पहली रेलगाड़ी को हरी झंडी दिखाई गई। यह मौका राज्य में रेलवे लाइन बिछने के 52 साल बाद आया। वहीं अगरतला में जन्मी दीपा 52 साल बाद ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली जिमनास्ट बनी हैं। इतना ही नहीं ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली वह पहली भारतीय महिला जिमनास्ट भी हैं। इन खेलों में हिंदुस्तानी जिमनास्ट आखिरी बार टोक्यो में 1964 में नजर आए थे। दीपा ने अपने अब तक के करियर में 77 मेडल जीते हैं जिनमें 67 गोल्ड हैं। दीपा करमाकर ने अपने करम से रियो तक का सफर तय किया है।
नोट: यह दास्तान दीपा करमाकर से संबंधित विभिन्न साक्षात्कारों व समाचारों पर आधारित है।