न्यूयॉर्क की एक अदालत ने भारतीय मूल के लेखक और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता दिनेश डिसूज़ा के ख़िलाफ़ अमरीकी चुनाव क़ानून के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.


डिसूज़ा पर आरोप है कि 2012 के अमरीकी सीनेट चुनाव में उन्होंने एक उम्मीदवार के लिए ग़लत तरीके से तय सीमा से ज़्यादा चंदा इकठ्ठा करवाया.डिसूज़ा अपनी बेबाक राजनीति टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं और पिछले राष्ट्रपति चुनावों से ठीक पहले उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा की तीखी आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री '2016: ओबामाज़ अमरीका' का निर्देशन किया था."डिसूज़ा अपनी बेबाक राजनीति टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं और पिछले राष्ट्रपति चुनावों से ठीक पहले उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा की तीखी आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री "2016: ओबामाज़ अमरीका" का निर्देशन किया था."अमरीकी क़ानून के तहत कोई एक व्यक्ति किसी एक उम्मीदवार को 5000 डॉलर से ज़्यादा चंदा नहीं दे सकता.अपनी जेब से पैसा दिया


उन पर आरोप है कि उन्होंने 20000 डॉलर का चंदा कई लोगों से दिलवाया और उन लोगों को वो पैसा अपनी जेब से वापस कर दिया. उन्होंने खुद एक उम्मीदवार को 5000 डॉलर का ही चंदा दिया.उन्होंनें किस उम्मीदवार की ग़लत तरीके से मदद की इसका ज़िक्र अदालत के दस्तावेज़ों में नहीं है.अदालत में उनके ख़िलाफ़ ये मामला जानेमाने सरकारी वकील प्रीत भरारा लेकर आए हैं.

अपने बयान में भरारा का कहना है "चुनाव क़ानून का उल्लंघन एक गंभीर आरोप है और सरकार उसके ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है.

ओबामा के आलोचकउनके वकील ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि इस मदद के पीछे उनका कोई ग़लत मकसद नहीं था.वकील का कहना है, "उनके और सीनेट के उम्मीदवार के बीच कॉलेज के ज़माने से दोस्ती थी और ज़्यादा से ज़्यादा ये मामला एक दोस्त की मदद के लिए ग़लत दिशा में उठाया गया कदम है."डिसूज़ा अस्सी के दशक में मुंबई से अमरीका आए, रोनाल्ड रीगन प्रशासन के लिए काम किया और आतंकवाद, अमरीकी मूल्यों और इसाई धर्म पर दर्जनों किताबें लिखी.उन्होंने यहां के कई थिंक टैंक में भी काम किया है. वो राष्ट्रपति ओबामा के कटु आलोचकों में गिने जाते हैं. न्यूयॉर्क की एक अदालत ने भारतीय मूल के लेखक और डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म निर्माता दिनेश डिसूज़ा के ख़िलाफ़ अमरीकी चुनाव क़ानून के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.डिसूज़ा पर आरोप है कि 2012 के अमरीकी सीनेट चुनाव में उन्होंने एक उम्मीदवार के लिए ग़लत तरीके से तय सीमा से ज़्यादा चंदा इकठ्ठा करवाया.डिसूज़ा अपनी बेबाक राजनीति टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं और पिछले राष्ट्रपति चुनावों से ठीक पहले उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा की तीखी आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री '2016: ओबामाज़ अमरीका' का निर्देशन किया था.
"डिसूज़ा अपनी बेबाक राजनीति टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं और पिछले राष्ट्रपति चुनावों से ठीक पहले उन्होंने राष्ट्रपति ओबामा की तीखी आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री "2016: ओबामाज़ अमरीका" का निर्देशन किया था."अमरीकी क़ानून के तहत कोई एक व्यक्ति किसी एक उम्मीदवार को 5000 डॉलर से ज़्यादा चंदा नहीं दे सकता.अपनी जेब से पैसा दियाउन पर आरोप है कि उन्होंने 20000 डॉलर का चंदा कई लोगों से दिलवाया और उन लोगों को वो पैसा अपनी जेब से वापस कर दिया. उन्होंने खुद एक उम्मीदवार को 5000 डॉलर का ही चंदा दिया.उन्होंनें किस उम्मीदवार की ग़लत तरीके से मदद की इसका ज़िक्र अदालत के दस्तावेज़ों में नहीं है.अदालत में उनके ख़िलाफ़ ये मामला जानेमाने सरकारी वकील प्रीत भरारा लेकर आए हैं.अपने बयान में भरारा का कहना है "चुनाव क़ानून का उल्लंघन एक गंभीर आरोप है और सरकार उसके ख़िलाफ़ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है.ओबामा के आलोचकउनके वकील ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि इस मदद के पीछे उनका कोई ग़लत मकसद नहीं था.
वकील का कहना है, "उनके और सीनेट के उम्मीदवार के बीच कॉलेज के ज़माने से दोस्ती थी और ज़्यादा से ज़्यादा ये मामला एक दोस्त की मदद के लिए ग़लत दिशा में उठाया गया कदम है."डिसूज़ा अस्सी के दशक में मुंबई से अमरीका आए, रोनाल्ड रीगन प्रशासन के लिए काम किया और आतंकवाद, अमरीकी मूल्यों और इसाई धर्म पर दर्जनों किताबें लिखी.उन्होंने यहां के कई थिंक टैंक में भी काम किया है. वो राष्ट्रपति ओबामा के कटु आलोचकों में गिने जाते हैं.

Posted By: Subhesh Sharma