दूसरी बार ब्राज़ील की राष्ट्रपति चुनी गईं जील्मा रूसैफ़ का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है और फ़ौजी हुकूमत के ख़िलाफ़ आंदोलन करने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा.


वह पहली बार पूर्व राष्ट्रपति लूला डी सिल्वा के सहयोगी के रूप में चर्चा में आईं. हालाँकि लोकप्रियता के मामले में वे लूला सिल्वा की बराबरी नहीं कर पाई हैं.उनके आलोचकों का तो यह भी कहना है कि वे लूला के समर्थन के बिना राष्ट्रपति भी नहीं बन पातीं.रूसैफ़ को उनकी सामाजिक कल्याण की नीतियों से लाखों ग़रीबों का जीवन स्तर बेहतर करने के श्रेय दिया जाता है, लेकिन सुस्त आर्थिक वृद्धि के लिए उनकी आलोचना भी होती रही है.'आयरन लेडी'अपने प्रतिद्वंद्वी आसयू नैविस के ख़िलाफ़ नजदीकी मुक़ाबला जीतने के साथ उन्होंने वादा किया है कि राष्ट्रपति के रूप में वह पहले से भी बेहतर कार्य करेंगी.हाल ही में विपक्ष ने उनका नाम सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनी पेट्रोब्रास से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों में घसीटने की कोशिश की है.


हालाँकि रूसैफ़ ने किसी भी तरह की गड़बड़ी की जानकारी से इनकार किया है.रूसैफ़ के समाज कल्याण के कार्यक्रम बोल्सा फैमिलिया के तहत तीन करोड़ साठ लाख लोगों को फ़ायदा हुआ है.विश्व कप का आयोजन

1970 में रूसैफ़ पकड़ी गईं और उन्हें तीन साल की सज़ा हुईं. सज़ा के दौरान उन्हें बिजली के झटके जैसी क्रूर यातनाएं दी गईं लेकिन वे कमज़ोर नहीं पड़ीं.अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान उन्हें 'विनाश की पुजारिन' कहकर संबोधित किया गया.इस कठिन परीक्षा से गुजरने के बाद 2009 में उन्हें कैंसर से भी जूझना पड़ा.लेकिन लगता है कि उनके और राष्ट्रपति पद के बीच कोई भी अड़चन टिक नहीं सकती.

Posted By: Satyendra Kumar Singh