Dhanteras 2021 : धनतेरस के दिन विधिवत पूजन करने से लक्ष्मी जी का आगमन होता है। इस दिन चांदी का सिक्का चावल के कटोरे में डालकर दरिद्रता दूर हो जाती है। ऐसे में आइए यहां धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त विधिविधान और दरिद्ता दूर करने के उपाय...

डाॅ. त्रिलोकीनाथ (ज्योतिषाचार्य और वास्तुविद)। Dhanteras 2021 : दिवाली पर्व की शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है। इस साल धनतेरस 2 नवंबर दिन मंगलवार को मनाई जा रही है। मान्यता है भगवान धनवन्तरी समुद्र मंथन के दौरान हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे इस कलश में अमृत भरा हुआ था। वैसे धनवन्तरी को देवताओं का वैद्य भी माना जाता है। धनवन्तरी की पूजा से धन-धान्य की वृद्धि होती है और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है। धनतेरस को अमृत कलश का दिन या कुबेर का दिन भी माना जाता है। इस दिन मूल्यवान वस्तुओं का क्रय किया जाता है लोग सोना-चांदी, बर्तन या बहुमूल्य वस्तुओं का क्रय करते है। वर्तमान समय में इस दिन लोग गाड़ी, मकान या अचल संपत्ति खरीदते है। धनतेरस में चांदी खरीदना अतिशुभ माना जाता है। चांदी को पूजा के स्थान पर रख दें। उसकी पूजा करें। चांदी का सिक्का है तो उसे चावल में डाल दें। चावल एवं सिक्के को एक वर्ष तक उसमें रहने दें और पूजा के पास रख दें। अन्य देवताओं के साथ चावल में रखी चांदी की वस्तु की भी पूजा आरती करते रहें। इससे लम्बे समय से आ रही दरिद्रता दूर हो जाती है। घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है।

धनतेरस का मुहूर्त
इस वर्ष धनतेरस 2 नवम्बर 2021 दिन मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन को अमृत दिन या अमृत कलश दिन या कुबेर का दिन भी माना जाता है। इस दिन शुभ प्रदोष काल 05 बजकर 37मिनट से 08 बजे तक है। लक्ष्मी एवं धनवन्तरी की पूजा का शुभ मूहूर्त 06 बजकर 18 मिनट से 08 बजकर 14 मिनट तक है। इस समय पूजा करने पर लक्ष्मी जी का आगमन होगा। जातक को धन-धान्य से मां पूर्ण करेगीं। धन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर करेगीं। हे मां लक्ष्मी, हे कुबेर जी, हे धनवन्तरी जी हम सबको धन-धान्य पूर्ण करें। हम सब को स्वस्थ्य बनाये। हमारे घर में हजारों खुशियां आये। अपना आशीर्वाद बनायें रखें। दरिद्रता का नाश करने वाली मां लक्ष्मी, कुबेर जी अपना हाथ हमारे सिर पर रखें रहें। निरन्तर अपनी अनुकम्पा बनायें रखें। जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी न आयें। अपनी निरन्तर कृपा दृष्टि बनायें रखें।

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Posted By: Shweta Mishra