Dhanteras 2019: धनतेरस मनाने के पीछे यह है कारण, पढ़ें पौराणिक कथा व पर्व के महत्व के बारे में
दीपावली के पांच दिन के उत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है जो भाई दूज तक चलता है। धनतेरस को हम धनत्रयोदशी के नाम से भी बुलाते हैं। इस दिन धन्वन्तरि जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन लोग नई वस्तुएं खरीदकर घर लाते हैं। यह विश्वास किया जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख, समृद्धि आती व अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। धनतेरस का पर्व मनाने की शुरुआत कैसे हुई इसके बारे में मृत्यु के देवता यमराज से जुड़ी एक कथा मिलती है। धनतेरस की कथा
कथा इस प्रकार है कि एक राजकुमार की कुंडली में लिखा हुआ था कि उसके विवाह के चौथे दिन उसकी मृत्यु सर्पदंश से हो जाएगी। राजकुमार के विवाह के बाद उसकी पत्नी ने निर्धारित दिन पर ऐसा होने से रोकने का निश्चय किया। उसने अपने सोने चांदी के बने आभूषण एक ढेर में एकत्र कर शयनकक्ष के दरवाजे पर रख दिए व चारों तरफ दिए जलाए। अपने पति को जगाए रखने के लिए वह उन्हें कहानियां व गीत सुनाती रही। जब यमराज सर्प के रूप में उसके पति के प्राण हरने आए तो सोने-चांदी के आभूषणों की चमक से उनकी आंखें चकाचौंध हो उठीं। इसके चलते वह राजकुमार के कक्ष में प्रवेश नहीं कर सके तो वह सोने-चांदी के ढेर पर ही बैठ गए और कहानियां व गीत सुनते रहे। सुबह होते ही वह वहां से चले गए इस तरह राजकुमार की जान बच गई।Dhanteras 2019: धन्वन्तरि जयंती के रूप में मनाते हैं आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वन्तरि का जन्मदिन धनतेरस पर करते हैं घर व दुकान की साफ-सफाई इस दिन लोग अपने घरों व दुकानों की साफ-सफाई करते हैं। घरों के दरवाजे पर सुंदर रंगोली बनाते व दिए जलाते हैं। शाम को पूजा के समय देवी लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर के सामने नवान्न के सात दाने रखकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए घर के दरवाजे पर दिया जलाते हैं। इस दिन कुछ लोग सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक व्रत भी रखते हैं व शाम को भगवान को पंचामृत का भोग लगाकर व्रत तोड़ते हैं। -पंडित दीपक पांडेयDhanteras 2019: इस दिन अवश्य करें दीपदान, यमुना स्नान का भी है विशेष महत्व