मूवी में न्यूज रूम के ड्रामा को बड़े पर्दे पर उतारा गया है। फिल्म में लग रहा था कि आगे कुछ होगा लेकिन थ्रिलर का कोई धमाका नहीं होता।


अनु वर्मा (फिल्‍म समीक्षक)। न्यूज रूम ड्रामा का अड्डा बन चुका है। यह सच है कि वर्तमान दौर में पूरी तरह मामला टीआरपी का हो गया है। ऐसे में धमाका पत्रकारिता पर एक मीम जैसा लगता है। राम माधवानी से उम्मीद बेहद थी। वाकई लग रहा था, आगे कुछ तो होगा। लेकिन फिल्म में थ्रीलर का कोई धमाका नहीं होता है। पढ़ें पूरा रिव्यूफिल्म : धमाकाकलाकार : कार्तिक आर्यन, अमृता सुभाष, मृणाल ठाकुरनिर्देशक : राम माधवानीचैनल : नेटफ्लिक्सरेटिंग : ढाई स्टारक्या है कहानी
आपने अगर अ वेडनेस डे देखी तो पहले दृश्य से ही आपको अंदाजा लग जाएगा कि फिल्म किस तरफ जा रही है। फिल्म न्यूजरूम से शुरू होती है और वही खत्म हो जाती है। अर्जुन पाठक (कार्तिक आर्यन) को बेस्ट जर्नलिस्ट बनना है, खुद को बेस्ट साबित करने में वह अपनी पत्नी सौम्य (मृणाल) को भी नहीं बक्शता। लेकिन एक कॉल से अर्जुन पाठक की पूरी जिंदगी बदल जाती है, जब एक व्यक्ति वर्ली सी लिंक को बम से उड़ा देता है। अब उसकी कुछ डिमांड है, जिसे न्यूज चैनल सिर्फ इसलिए पूरी करना चाहता है कि उनको इससे टी आरपी मिले। वर्तमान दौर में न्यूज चैनल की दुनिया में जो होता है, उसे निर्देशक ने अपने कंफर्ट के हिसाब से दर्शा दिया है। बेवजह का इतना ड्रामा है कि कहानी किस तरफ और क्यों रुख कर रही है, समझ नहीं आता और फिर एक कमजोर क्लाइमेक्स के साथ फिल्म खत्म हो जाती है।क्या है अच्छाएक माहौल अच्छा क्रिएट हुआ है, दर्शक बंधे रहते हैं कि आगे कुछ होगा, हालांकि कुछ अनोखा होता नहीं है। लेकिन वह रोमांच है।क्या है बुरासिनेमेटिक लिबर्टी हद से ज्यादा ली गई है। संवाद बेहद रिपीट किए गए हैं। कई चीजें लॉजिक के बिना दर्शाई गई हैं। नयापन नहीं है।अदाकारीकार्तिक ने अपने कंफर्ट जोन से हटकर अच्छा काम किया है। लेकिन कहानी कमजोर होने की वजह से उनका नुकसान होगा। अमृता सुभाष जैसी टैलेंटेड अभिनेत्री को खास स्पेस नहीं मिला है। मृणाल का काम भी अच्छा है।वर्डिक्टफिल्म खास आकर्षित नहीं करती है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh