धर्म अध्‍यात्‍म और मंदिरों के लिए भारत देव भूमि कही जाती है। यहां एक से बड़ कर एक मंदिर हैं जो अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध हैं। हर मंदिर की अपनी एक अनोखी मान्‍यता है। आज हम आप को एक ऐसी ही अनोखी मान्‍यता वाले मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां भक्‍त तो क्‍या मंदिर के पुजारी को भी भगवान के दशर्न नहीं मिलते हैं। पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर यहां पूजा अर्चाना करते हैं।


उत्तराखंड में स्थित है मंदिरहम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल नामक ब्लॉक में स्थित मंदिर की जहां भक्तों का प्रवेश भी वर्जित माना जाता है। राज्य में यह मंदिर लाटू मंदिर के नाम से विख्यात है। इस मंदिर में लाटू देवता का पूजन होता है। स्त्री हो या पुरुष सभी का मंदिर में प्रवेश वर्जित है। मंदिर में सेवा करने वाले पुजारी भी आंख नाक और मुंह पर पट्टी बांध कर ही पूजा करते हैं। भक्तों को मंदिर से 75 फीट की दूरी से पूजा करनी पड़ती है। यहां ऐसी मान्यता है कि लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या नंदा देवी के भाई हैं। वर्ष में पूर्णिमा के दिन खुलते हैं द्वार
प्रत्येक 12 सालों में उत्तराखंड की सबसे लंबी श्रीनंदा देवी की राज जात यात्रा का बारहवां पड़ाव वांण गांव है। लाटू देवता वांण गांव से हेमकुंड तक नंदा देवी का अभिनंदन करते हैं। मंदिर का द्वार वर्ष में एक ही दिन वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन खुलता हैं। इस दिन पुजारी इस मंदिर के कपाट अपने आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर खोलते हैं। देवता के दर्शन भक्त दूर से ही करते हैं। जब मंदिर के कपाट खुलते हैं तब विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है।


मंदिर में विराजती है नागमणिस्थानीय लोगों की माने तो मंदिर के अंदर नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ विराजमान हैं। जिनके दर्शन आम लोग अपनी आंखों से नहीं कर सकते हैं। पुजारी भी अपनी आंखों पर पट्टी बांध कर मंदिर के अंदर प्रवेश करते हैं। लोग की यह भी मान्यता है कि उस मणि का तेज प्रकाश भक्तों को अंधा बना देता है। नाक-मुंह में पट्टी बांधकर पुजारी इसलिए जाते हैं ताकि पुजारी के मुंह की गंध नागदेवता तक और उनकी विषैली गंध पुजारी के नाक तक न पहुंच सके।

Posted By: Prabha Punj Mishra