Demolition Case Ayodhya: अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में कल आएगा फैसला, 28 साल पुराने केस में आडवाणी-जोशी भी हैं आरोपी
लखनऊ (पीटीआई)। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का काम शुरू हो चुका है। इस बीच रामजन्मभूमि से जुड़ा एक और बड़ा फैसला आने जा रहा है। लखनऊ की एक विशेष अदालत 1992 के अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले बुधवार को अपना फैसला सुनाएगी। इस मामले में सीबीआई जज एसके यादव ने 16 सितंबर को सभी 32 जीवित आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया था। अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस अदालत का फैसला 28 साल बाद आने जा रहा है। कई आरोपित केस का फैसला सुनने के लिए जीवित नहीं हैं। इस मामले में 48 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन अब तक 17 की मौत हो चुकी है।विवादित ढांचा ध्वंस मामले में भड़काऊ भाषण देने जैसे आरोप
विवादित ढांचा ध्वंस मामले में आरोपियों में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भाजपा के दिग्गज नेता विनय कटियार और साध्वी ऋतंभरा शामिल हैं। राम मंदिर निर्माण के प्रभारी ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय भी आरोपियों में शामिल हैं। इन सभी पर भड़काऊ भाषण देने जैसे आरोप लगे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के बाद भारती और सिंह दोनों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया था। ऐसे में इस मामले में फैसला सुनाए जाने के वक्त इनके अदालत में उपस्थित होने पर संशय है। मस्जिद को दिसंबर 1992 में 'कारसेवकों' ने ढहा दिया थाकेंद्रीय एजेंसी ने अदालत के समक्ष साक्ष्य के रूप में 351 गवाह और 600 दस्तावेज पेश किए अयोध्या में बाबरी मस्जिद को दिसंबर 1992 में 'कारसेवकों' द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। उनका दावा था कि प्राचीन राम मंदिर उसी स्थल पर था। ऐसे में यहां पर मस्जिद नहीं रह सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल को पूरा करने के लिए 31 अगस्त, 2020 तक का समय दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अदालत ने निर्धारित तारीख तक सुनवाई पूरी करने के लिए दिन-प्रतिदिन की सुनवाई की थी। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज ने इस केस में दो सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया था।