CBSE पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस ने शुरू की जांच, सामने आ रहे हैं ये नाम
बोर्ड ने दो पेपरों को दोबारा कराए जाने का ऐलान किया
दिल्ली, (पीटीआई)। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी कि सीबीएसई के पेपर लीक के मामले से हडकंप मचा है। सीबीएसई ने ने पेपर लीक के मामले में दिल्ली पुलिस को बताया है कि 26 मार्च को क्लास 12 इकोनॉमिक्स विषय के हाथ से लिखे 4 पेपर जवाबों के साथ सामने आए थे। ये बिना नाम पते के एक लिफाफे रोज एवेन्यू स्थित सीबीएसई की एकेडमिक यूनिट में डिलीवर हुए थे। वहीं दिल्ली अपराध शाखा पेपर लीक के दो अलग-अलग मामलों के दर्ज होने के बाद से इसकी जांच में जुट गई है। इसमें कक्षा 12 अर्थशास्त्र और कक्षा 10 गणित के पेपर के लीक होने का मामला है। बतादें कि पेपर लीक का दावा करने वाले रिपोर्टों के सामने आने के बाद सीबीएसई ने कल दो पेपरों को दोबारा कराए जाने की घोषणा भी की है।
मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन हुआ
वहीं केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने पुलिस को अपनी शिकायत में यह भी बताया है कि 23 मार्च को एक अज्ञात सोर्स से उसे एक फैक्स द्वारा शिकायत मिली थी कि राजिंदर नगर का एक संचालक पेपर लीक के मामले में शामिल है। इतना ही नहीं इसमें राजिंदर नगर के ही दो स्कूलों का नाम भी बताया गया था। दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह इस मामले में जांच कर रही है। अर्थशास्त्र का पेपर लीक होने के संबंध में पहला मामला 27 मार्च को दर्ज किया गया था। वहीं सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक की शिकायत के बाद 28 मार्च को गणित के पेपर को लेकर मामला दर्ज किया गया है। इस मामले की जांच के लिए दो डिप्टी कमिश्नर, चार सहायक आयुक्तों और पांच निरीक्षकों की एक टीम गठित की गई है।
बोर्ड की साख और विश्वसनीयता को धूमिल करना मकसद
बतादें कि 26 मार्च सोमवार को पेपर शुरू होने कुछ घंटे पहले व्हाट्सएप व दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इकोनॉमिक्स का पेपर लीक होने की खबरे आ रही थीं। हालांकि इस दौरान सीबीएसई ने इस बात से इंकार करते हुए कहा था कि छात्र व पैरेंट्स इन बातों पर बिल्कुल भी ध्यान न दें। पेपर लीक नहीं हुआ है। गौरतलब है कि इससे पहले भी 15 मार्च को ऐसी ही एक घटना हुई थी। उस समय 12वीं के सीबीएससी अकाउंटेंसी का पेपर लीक होने की खबरें आई थीं। इसके जांच के आदेश भी हुए थे। हालांकि बाद में बोर्ड ने कहा था कि पेपर लीक नही हुआ है। स्थानीय स्तर पर कुछ शरारती तत्व सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी खबरों को वायरल कर रहे हैं। ऐसे में लोगों का मकसद बोर्ड की साख और विश्वसनीयता को धूमिल करना है।