Deepak Chahar journey: बेटे का सपना पूरा करने के लिए पिता ने छोड़ी सरकारी नौकरी, घर पर ही बनवा दी पिच
कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। दीपक चाहर आज टीम इंडिया के नए हीरो बनकर उभरे हैं। चाहर ने श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे में भारत को हारा हुआ मैच जितवाया है। जब टीम इंडिया के ड्रेसिंग रूम सहित भारतीय फैंस ने भी जीत की उम्मीद छोड़ दी थी। ऐसे में चाहर ने अपने करियर का पहला अर्धशतक लगाकर श्रीलंका के हाथों से जीत छीन ली। चाहर जो पहले गेंदों से कमाल करते थे, आज बैटिंग से एक यादगार पारी खेलकर टीम इंडिया के नए हीरो बन गए हैं। दीपक की इस मेहनत के पीछे उनके पिता लोकेंद्र सिंह चाहर का अहम योगदान रहा, जिन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर बेटे का करियर संवारा और आज उनके घर का चिराग दीपक बनकर टीम इंडिया में जगमगा रहा है।
दो साल पहले हैट्रिक लेकर आए थे चर्चा में
28 साल के दीपक चाहर करीब दो साल पहले भी चर्चा में आए थे। तब उन्होंने टी-20 में हैट्रिक ली थी और ऐसा करने वाले भारत के पहले खिलाड़ी बने थे। उस प्रदर्शन को देख पिता लोकेंद्र सिंह काफी खुश थे। उनका कहना था कि चाहर ने आज जो कारनामा किया है उसके पीछे सालों की मेहनत है। नेट्स में चाहर ने कम से कम एक लाख गेंदें फेंकी होगी तब जाकर वह सटीक गेंदबाज बन पाए। 2019 की वो एक ऐसी रात थी जिसका भारतीय वायु सेना के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी लोकेंद्र सिंह इंतजार कर रहे थे। उनके बेटे दीपक ने आखिरकार एक "जादुई प्रदर्शन" किया, जिसके बीज प्रतिष्ठित ताजमहल की पृष्ठभूमि में आगरा में एक टर्फ विकेट पर बोए गए थे।
वे क्षण जिन्हें वह और उनका बेटा हमेशा याद रखेंगे। नागपुर में एक टी 20 अंतर्राष्ट्रीय में बांग्लादेश के खिलाफ आए, जहां दीपक ने 3.2 ओवर में 7 रन देकर 6 विकेट लिए थे। तब लोकेंद्र सिंह ने कहा था, "अब मुझे लगता है कि हम दोनों ने जो सपना देखा था, वह धीरे-धीरे साकार हो रहा है।" दीपक ने क्रिकेट के शुरुआती दिनों से ही सुर्खियां बटोरना शुरु कर दिया था। जब वह 18 साल के थे, तब पहली बार चर्चा में आए। उस वक्त अपनी स्विंग गेंदबाजी से हैदराबाद की एक अनुभवी टीम को चाहर ने सस्ते में समेट दिया था। उन्होंने अपने रणजी ट्रॉफी डेब्यू में हैदराबाद को 21 रन पर ऑलआउट किया और खुद 8 विकेट लिए।
यू-ट्यूब पर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला वीडियो
दीपक चाहर का आठ विकेट का हॉल यू-ट्यूब पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले घरेलू क्रिकेट वीडियो में से एक है। दीपक ने रणजी ट्रॉफी विजेता राजस्थान की ओर से 40 से अधिक विकेट लेकर घरेलू सर्किट में शानदार प्रवेश किया, लेकिन बाद में इंजरी के चलते इस गेंदबाज के कुछ साल बर्बाद हो गए। पिता का कहना है, "मैं कहूंगा कि दीपक को अपने करियर के महत्वपूर्ण चरणों में चोटें लगीं। चोट का समय भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।'
एक प्राकृतिक स्विंग गेंदबाज, स्ट्रीट-स्मार्ट चाहर ने समझा कि सफेद गेंद वाले क्रिकेट में भारतीय लाइन-अप में उनकी कॉलिंग हो सकती है और जब महेंद्र सिंह धोनी ने उन्हें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में राइजिंग पुणे सुपरजायंट्स में देखा तो चीजें बदल गईं। बाद में चाहर चेन्नई सुपर किंग्स में शामिल हुए और यहां धोनी के गाइडेंस से वह फ्रेंचाइजी के सबसे खतरनाक गेंदबाज बन गए। 2018 सीजन में चाहर ने 10 विकेट लिए थे। उसके बाद तो वह आईपीएल में हर साल अच्छा प्रदर्शन करते रहे।
ऐसे बदली किस्मत
भारत के पूर्व क्रिकेटर और विश्लेषक दीप दासगुप्ता, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में चाहर को नजदीक से देखा है। उनको लगता है कि 2019 के आईपीएल के दौरान चाहर में जो बदलाव हुआ, वह उन्हें आगे लेकर आया। दासगुप्ता ने कहा था, "दीपक हमेशा से जानते थे कि लाल गेंद को कैसे स्विंग करना है। लेकिन 2018 में, ड्वेन ब्रावो के बिना, एमएस (धोनी) ने उन्हें पावरप्ले के साथ-साथ डेथ ओवरों पर अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी। वह उनके करियर का टर्निंग प्वाॅइंट रहा।' पूर्व टेस्ट कीपर ने कहा, "चाहर ने नॉट-स्विंग फ्रेंडली परिस्थितियों में गेंदबाजी करना सीखा। उन्होंने वाइड यॉर्कर, वाइड स्लोअर गेंदबाजी करना सीखा।"
पिता ने घर पर बनवाई पिच
मूल रूप से आगरा के रहने वाले, चाहर परिवार शुरू में राजस्थान के गंगानगर में बस गए थे, जब लोकेंद्र सिंह भारतीय वायु सेना में कार्यरत थे। लोकेंद्र चाहर कहते हैं, "जब मैंने भारतीय वायु सेना में अपनी नौकरी छोड़ी, तो मुझे पता था कि मैं क्या कर रहा था। मुझे कभी नहीं लगा कि यह एक बलिदान है। मुझे पता था कि मेरे बेटे में क्षमता है जब मैंने उसे 12 साल की उम्र में खेलते देखा था।' लोकेंद्र कहते हैं, "मैं एक क्रिकेटर बनना चाहता था लेकिन मेरे पिता ने मुझे अनुमति नहीं दी। इसलिए जब मेरे बेटे की बात आई, तो मैं चाहता था कि वह अपने सपने को साकार करे जो मेरा भी सपना था। मेरे पास कोई औपचारिक कोचिंग की डिग्री नहीं थी लेकिन मैंने दीपक को गाइड किया।' बता दें दीपक चाहर के पिता ने अपनी बचत के पैसें से आगरा में घर पर दो पिचों - एक टर्फ और एक कंक्रीट का निर्माण किया ताकि उनका बेटा घर पर ही ट्रेनिंग ले सके।'
पिता का जूनून और बेटे की कड़ी मेहनत आखिरकार रंग लाई। दीपक चाहर टीम इंडिया के प्रमुख गेंदबाजों में से एक हैं। हालांकि अब श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने जिस तरह से बैटिंग की, उसे देखकर कहा जा सकता है कि आने वाले समय में चाहर एक ऑलराउंडर के रूप में भारतीय टीम को मजबूती प्रदान कर सकते हैं।