दक्षिणी इतालवी द्वीप लाम्पेदूज़ा के तट के निकट अफ़्रीकी प्रवासियों को ले जा रही एक नाव के डूबने से मरने वालों की संख्या 300 के क़रीब पहुंचने की आशंका जताई जा रही है. अब तक 100 से ज़्यादा शव बरामद किए जा चुके हैं. तटरक्षकों का कहना है कि इस हादसे में क़रीब 151 लोगों की जान बच गई है.


इटली के प्रधानमंत्री ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. उधर पोप ने भी इस दुर्घटना पर शोक ज़ाहिर किया है.बताया जा रहा है कि नाव में आग लगने की ख़बर सुनकर बहुत से यात्रियों ने समुद्र में छलांग लगा दी.संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ज़्यादातर यात्री सोमालिया औऱ इरिट्रिया के थे.माना जा रहा है कि जिस वक्त यह हादसा हुआ तो नाव पर क़रीब 500 लोग सवार थे औऱ 200 लोगों के बारे में कुछ पता नहीं है.इटली के आंतरिक मंत्री ऐंजेलीनो अल्फ़ानो ने बताया कि यह नाव लीबिया के मिस्राता से आ रही थी औऱ इसकी मोटर बंद हो जाने के बाद उसमें पानी भरना शुरू हो गया.हादसा


लाम्पेदूज़ा की मेयर गियुसी निकोलिनी ने हादसे के बारे में कहा कि वहां का दृश्य बेहद दर्दनाक है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़ निकोलिनी ने कहा कि यह कब्रिस्तान की तरह डरावना है, शवों को अभी भी बाहर निकाला जा रहा है.गोताखोरों का कहना है कि उन्होने तकरीबन 40 शव समुद्र की सतह से निकाले हैं. स्थानीय मीडिया के मुताबिक़ मानव तस्करी करने वाले एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया है.

पोप फ्रांसिस ने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं. उन्होने ट्विटर पर संदेश दिया कि हादसे के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना की जाए. उन्होने जुलाई में लाम्पेदूज़ा की यात्रा की थी और वहां आने वाले प्रवासियों के प्रति उदासीनता के लिए वैश्विक समुदाय की आलोचना की थी.शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त एंटोनियो ग्युटेर्स ने इस बात पर गहरा दुख ज़ाहिर किया है कि दुनिया भर में लोग संघर्ष और मार-काट से बचने के लिए भागते हैं और समुद्र की भेट चढ़ जाते हैं.एंटोनियो का कहना था कि साल 2011 के दौरान भूमध्यसागर को पार कर यूरोप पहुंचने की कोशिश करने वाले 1500 से ज़्यादा लोगों ने या तो अपनी जान गंवाई या फिर लापता हो गए.संयुक्त राष्ट्र के ही आंकड़ों के मुताबिक इस साल 30 सितंबर तक समुद्र के रास्ते इटली पहुंचे प्रवासियों की संख्या 30,100 है औऱ इनमें से ज़्यादातर सीरिया, इरिट्रिया और सोमालिया के रहने वाले हैं.

Posted By: Subhesh Sharma