मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक़ 2014 की तुलना में 2015 में दुनिया में मृत्युदंड देने में 50 फ़ीसद का इज़ाफ़ा हुआ है.एमनेस्टी के मुताबिक दुनिया भर में 1989 के बाद 2015 में सबसे अधिक मौत की सज़ा दी गई.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2015 की समीक्षा रिपोर्ट में बताया है कि 2015 में 1634 लोगों को मौत की सज़ा दी गई. इनमें से 89 फ़ीसद मामले ईरान, पाकिस्तान और साउदी अरब के थे.

मंगोलिया ने भी एक नया अपराध कानून पास किया है, जो इस साल के अंत से प्रभावी होगा.
एमनेस्टी के मुताबिक पाकिस्तान में तो 'एक के बाद एक सरकार समर्थित हत्याएँ' हो रही हैं क्योंकि दिसंबर 2014 के बाद पाकिस्तान में मौत की सज़ा देने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया था.

ईरान में ज़्यादातर मादक पदार्थों से जुड़े अपराध के लिए 2014 में 743 लोगों को मौत की सजा दी गई थी. साल 2015 में यह संख्या बढ़कर 977 हो गई. इनमें से कम से कम चार लोगों की आयु अपराध के समय 18 साल से कम थी. ऐसे लोगों को मौत की सजा देना अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन है.
साउदी अरब में 2014 की तुलना में 2015 में मौत की सजा देने में 76 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन मौत की सज़ा देने के मामले में दुनिया में अव्वल नंबर पर है जबकि ईरान, सउदी अरब,पाकिस्तान और अमरीका इसके बाद आते हैं.

एमनेस्टी के महासचिव सलिल शेट्टी के मुताबिक़ 2015 में मौत की सज़ा की दर में बढ़ोतरी बेहद चिंताजनक है.
सलिल शेट्टी के अनुसार, "दुखद है कि दुनियाभर की सरकारों ने कई लोगों को सिर्फ इस झूठे आधार पर जिंदगी से महरूम कर दिया कि मौत की सज़ा उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है.

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari