शिक्षा व्यवस्था में जो करेगा सुधार, उसे ही जनाधार
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JAMSHEDPUR: जुबिली पार्क में शनिवार को राजनी-टी कार्यक्रम के तरह मिलेनियल्स से लोकसभा चुनाव पर आम राय ली गई. इस दौरान मिलेनियल्स ने 'देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली सही या गलत' पर अपने विचार रखे. मिलेनियल्स ने कहा कि झारखंड सहित पूरे देश में शैक्षिक सत्र में बदलाव की जरूरत है. मिलेनियल्स ने बताया कि अप्रैल से मार्च तक के शैक्षिक सत्र में गर्मी और लगभग एक माह की छुट्टी होने से छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. सरकार को चाहिये कि इसे पूर्व की भांति जनवरी से दिसंबर तक किया जाए. युवा अध्यापकों ने कहा कि सरकार द्वारा इंटरमीडिएट कॉलेज में शैक्षणिक कार्य रहे अध्यापकों को जैक द्वारा आठ हजार प्रति महीना के हिसाब से पेमेंट किया जाता है, लेकिन छुट्टी और परीक्षा के समय अध्यापकों का पेमेंट नहीं किया जाता है. जिसमें सुधार होना चाहिये. युवाओं ने कहा कि सरकार द्वारा छात्रों के लिए बिषय तो बना दिए गये है लेकिन न तो उनका कोई स्लेबस है और न ही बाजार में विषय से संबंधित किताब दी जाती है. जिससे टीचर और अध्यापकों को इंटरनेट की सहायता से सब्जेक्ट के सिलेबस को पूरा किया जाता है. एक मिलेनियल्स ने कहा कि देश में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह मजाक के लहजे में ही चल रही है. आठवीं क्लास की पांच-पांच विषयों की परीक्षा एक ही दिन में ली जा रही है. जब सरकार छात्र -छात्राओं को शिक्षित करने के लिए अरबों रुपये खर्च कर सकती है तो सरकार को शिक्षा की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है. अंत में सभी युवाओं ने अपनी राय देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में यहीं मुद्दा होगा कि देश में शिक्षा व्यवस्था में व्यापक सुधार की जरूरत है जो भी इसमें सुधार करेगा जनमत उसी का साथ देगा.
कड़क मुद्दा आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भूमाफियाओं और बड़े लोगों ने कब्जा कर रखा है. शहर में ही न हीं देश और शहर के कुछ नामी शिक्षण संस्थाओं में फीस और अन्य माध्यमों से पैरेंट्स की जेब में डाका डाला जा रहा है. जिसपर सरकारें मौन, विभाग ऐसे संस्थानों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. स्कूलों की मान्यता देते समय विभाग के अधिकारी मोटी रकम लेकर मान्यता प्रदान करते है. आज पूरे देश में शिक्षा व्यवस्था मजाक बनकर रह गई है. विभागों में बैठे अधिकारी कुछ शिक्षण संस्थानों के हाथ की कठपुलती बनकर रह गए है. मो ताहिर हुसैन मेरी बातदेश में एक ही प्रकार का बोर्ड और शिक्षा होनी चाहिये, हलांकि यह कर पाना थोड़ा कठिन होगा लेकिन जब देश में रेलवे विभाग पूरे देश में कार्य कर रहा है तो यह असंभव नहीं है. सरकार में पढ़े लिखे लोगों और बुद्धिजीवी लोगों को बैठाया जाना चाहिये जो छात्रों के हित के बारे में सोचे, देश की शिक्षा व्यवस्था में जिस तरह के काम हो रहे है उससे यहीं लगता है कि जो लोग वहां पर बैठे है उन्हें कोई अनुभव ही नहीं है. जैक बोर्ड का नया सत्र एक अप्रैल से शुरू हो गया है लेकिन अभी तक किताबों के टेंडर ही नहीं हुआ है. इन व्यवस्थाओं में सुधार करने वाली पार्टी को वोट किया जाएगा.
मिथिलेश प्रसाद श्रीवास्तव पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था में जो अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है कि आजादी के बाद तेजी से शिक्षकों का सम्मान गिरता चला गया. इसके लिए कहीं न कहीं टीचर भी जिम्मेदार है. सरकार को चाहिये कि छात्रों के हित को देखते हुए कड़े से कड़े नियम बनाए जाए जिससे हमारे देश के स्कूलों से मजबूत आधार वाले स्टूडेंट निकल सके. एसके सिंहदेश में सरकार पूरी शिक्षा विभाग में दोहरे मापदंड से काम करने की कोशिश कर रही है. जो पूरी तरह गलत है. नियम के अनुसार चाहे वह प्राइवेट संस्थान हो या सरकारी संस्थान दोनों के लिए एक जैसे ही नियम होने चाहिये. जिससे कहीं न कहीं हमारी शिक्षा व्यवस्था और जाने अनजाने छात्रों का ही नुकसान हो रहा है. सरकार से हमारी मांग यहीं है कि शिक्षा छात्रो के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होना चाहिये.
सुनील कुमार देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली से सहमत नहीं हूं, जिसका सबसे बड़ा कारण है कि प्राथमिक शिक्षा हो जूनियर सभी में सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है. लेकिन छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकारी विद्यालयों में कहीं टीचर नहीं कहीं बिल्डिंग नहीं, कहीं पर बच्चों को पीने का पानी नहीं, सत्र प्रारंभ होने के पांच से छह माह बाद किताबें मिल रही है. जाड़ा खत्म होने के बाद बच्चों को स्वेटर बांटे जा रहे है. सरकार को चाहिये कि जब देश का पैसा छात्रों पर खर्च हो रहा तो वह एक नियम कानून के तहत होना चाहिये शैलेंद्र कुमार सिंहदेश के साथ ही झारखंड की शिक्षा व्यवस्था दयनीय है, हम सीबीएसई पैटर्न के आधार पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल को चलाने की कोशिश कर रहे है. लेकिन प्रदेश में शिक्षा विभाग के पास कोई नियम कानून नहीं है. सरकारें नये-नये मापदंड बना रही है. जिससे छात्रों के साथ शिक्षकों के अधिकारों का हनन हो रहा है. मेरी सरकार से गुजारिश की शिक्षा शिक्षकों के बिना अधूरी है इसलिए सरकारें शिक्षकों के विकास के बारे में सोचे, जिससे छात्रों का भी भला होगा.
महात्मा प्रसाद सिंह शिक्षा व्यवस्था में समय-सीमा का बेहद अभाव है. सत्र अप्रैल से शुरू होता है लेकिन किताबें जुलाई माह या बाद में ही मिल पाती है. जिससे समय से छात्रों का सिलेबस पूरा नहीं हो पाता है. हाल में ही कक्षा आठ की परीक्षाओं में विभाग ने घोर लापरवाही की एक ही दिन में पांच-पांच विषयों की परीक्षा कराना कहां का नियम है. विभाग में बैठे लोगों को छात्रों और उनके परिवार की समस्याओं के बोर में सोचना चाहिये. सतेंद्र कुमार देश की वर्तमान शिक्षा प्रणाली बहुत हद तक करगर है, आजादी के बाद से सभी शिक्षित करने का बीड़ा जो सरकार ने उठाया, उसमें हमारे देश में तेजी से काम हुआ, कई राज्यों जैसे केरल, नागालैंड जैसे राज्यों ने पूरे देश को चौका दिया. लेकिन इसके बाद भी हम अपनी शिक्षा को सार्थक करने में फेल हो गया. जिसका कारण हमारी शिक्षा प्रणाली की दुर्बलता है. भरत ठाकुर झारखंड में 2002 में जैक बोर्ड की स्थापना के बाद सीबीएसई पैटर्न पर हम शिक्षा ग्रहण कर रहे है. सरकार से मेरा आग्रह कि जो सत्र जनवरी से दिसंबर तक चलता था उसे अप्रैल मार्च करके छात्रों के हित से खिलवाड़ किया गया है. सत्र पहले करने से छात्रों की समस्याओं का अंत नहीं हुआ. बल्कि एजूकेशन सत्र के मध्य छुट्टी होने से सिलेबस पूरा नहीं हो पा रहा है. देवेंद्र कुमार ठाकुर सरकार को देश भर के शिक्षण संस्थानों में शिक्षण कर कर रहे शिक्षकों के विकास के बारे में कोई कठोर नियम कानून बनाना चाहिये. जिससे समाज के इस वर्ग का भरण पोषण हो सके. प्रदेश में प्राइवेट स्कूल में कार्यरत शिक्षकों को नो वर्क नो पे के आधार पर रखा गया है. सरकार को चाहिये कि इन शिक्षकों को पूरे साल का वेतन दिया जाए. जावेद अख्तर अंसारी सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ परिचर्चा के दौरान एक मिलेनियल्स ने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा क्षेत्र में कुछ खास काम नहीं हुए यह बात किसी भी मिलेनियल्स को नहीं पची. सभी ने इस बात का विरोध करते हुए कहा कि आजादी के 70 वर्षो में ही हमने आईआईटी और आईएमएम जैसे संसथान बनाये, जेएनयू, बीएचयू जैसे संस्थान को अपग्रेड किया गया. यह बात है कि शिक्षा व्यवस्था का आधार कमजोर होने के कारण हम इसको पूरी तरह से भुना नहीं पाये. जिसके लिए सरकार के साथ ही प्राइवेट शिक्षण संस्थान लगे हुए है. आज देश के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि शिक्षा क्षेत्र के विकास और छात्र के विकास को देखते हुए ही विभाग कार्य करें